हिंदू धर्म में हर कोई अलग-अलग देवी-देवता को मानता है और उनकी पूजा करते हैं। हर व्यक्ति भगवान की पूजा अपनी श्रद्धा और नियमों के आधार पर करता है। देवी-देवता को सिंदूर, अक्षत, फूल, माला चढ़ाने के साथ-साथ आदि अर्पित करते हैं। कई साधक तो अपने आराध्य को जल और फूलों के द्वारा प्रसन्न कर लेते हैं। कहा जाता है कि देवी-देवता को कोई भी फूल अर्पित जरूर करना चाहिए। इससे आपकी पूजा पूर्ण होती है। ‘शारदा तिलक’ नामक पुस्तक में भगवान को फूल चढ़ाने को लेकर लिखा है –दैवस्य मस्तकं कुर्यात् कुसुमोप हितं सदा यानी देवता का मस्तक सदैव फूल होना चाहिए। इसी के कारण हर देवी-देवता को फूल अवश्य चढ़ाते हैं। लेकिन शायद आप इस बात से अनजान है कि देवी-देवता को फूल चढ़ाने का भी एक नियम है। आइए जानते हैं कि भगवान को फूल चढ़ाते समय कौन सी गलती नहीं करनी चाहिए।
देवी-देवता को फूल चढ़ाते समय न करें ये गलती
शास्त्रों के अनुसार, कई बार भक्तों की आदत होती है कि देवी-देवता तो चढ़ाने के लिए लोटा या फिर किसी अन्य पात्र में जल लेकर जाते हैं और उसमें फूल तोड़ कर भी डाल लेते हैं। इसके अलावा कई भक्त पेड़-पौधे से फूल तोड़कर लाते है्ं और उन्हें पानी से धो लेते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। दरअसल, पानी में भगवान विष्णु वास करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु भी जल में विराजमान है। आदि पुरुष विष्णु का निवास ‘आयन’ नार यानी ‘जल’ है। इसी के कारण भगवान विष्णु को नारायण नाम से भी जानते हैं। इसी के कारण अगर आप फूल को जल से धो लेंगे या फिर जल में डाल देंगे, तो वह भगवान विष्णु को चढ़ जाएगा। अब एक देवता पर चढ़ा फूल दूसरे देवी-देवता पर चढ़ाएंगे, तो वह स्वीकार नहीं करेंगे। इसलिए कभी भी फूल को जल में डालकर या धोकर किसी दूसरे देवी-देवता को न चढ़ाएं।
शिवपुराण के अनुसार, कई भक्त शिवलिंग में जल चढ़ाने आते हैं, तो वह लोटे में भी फूल डाल देते हैं, जिससे शिव जी को आसानी से चढ़ा सके।लेकिन ये बिल्कुल गलत है। भगवान विष्णु को चढ़ा हुआ फूल शिव जी या फिर किसी अन्य देवी-देवता को नहीं चढ़ाना चाहिए। इससे आपकी पूजा पूरी नहीं होगी।
फूल के अलावा अन्य चीजें भी न धोएं
कई भक्तों की आदत होती है कि फूल के अलावा बेलपत्र, शमी पत्र, आक के फूल या अन्य चीजों को भी धो देते है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
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