Janmashtami 2018 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Puja Samagri, Vrat Katha: आज देशभर में धूमधाम के साथ जन्माष्टमी मनाई जा रही है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए इस त्योहार पर देशभर में मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है। भारत समेत दुनिया के कई देशों में इस त्योहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु न सिर्फ मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करते हैं बल्कि अष्टमी का व्रत भी रखते हैं। रात में 12 बजे जन्माष्टमी का व्रत खोलना शुभ माना जाता है। जन्माष्टमी के दिन श्रद्धालु पूरे दिन उपवास रखने के बाद रात में 12 बजे प्रसाद खाकर व्रत खोलते हैं। इस अवसर पर मंदिरों की विशेष साफ-सफाई होती है। इसके साथ ही मंदिरों भक्ति भरे संगीत बजाए जाते हैं और कीर्तन भी होता है। ठीक रात 12 बजे कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। कृष्ण भक्तों के लिए यह काफी उल्लास और खुशी का दिन होता है। कई जगहों पर दही हांडी फोड़ने के कार्यक्रम भी संचालित किए जाते हैं।

भगवान कृष्ण विष्णु के 8वें अवतार माने जाते हैं। उन्होंने अपने अत्याचारी मामा कंस का वध करके मथुरा को लोगों को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी। इसके अलावा महाभारत के युद्ध में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। महाभारत युद्ध के दौरान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश भी दिया। यही उपदेश भगवद्गीता में संकलित हैं जिसे हिंदू धर्म का पवित्र ग्रंथ माना जाता है। मालूम हो कि कृष्ण जन्माष्टमी की एक खास पूजा विधि है। जन्माष्टमी पर इस पूजा विधि से कृष्ण पूजन करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। आइए, आपको बताते हैं कि ये पूजन-विधि क्या है-

पूजा विधि: कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह उठकर पूजा से पहले स्नान करें और माथे पर चंदन लगाएं। इसके बाद घर में बने मंदिर में जाएं और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को भी स्नान कराएं। मूर्ति को दूध, घी, फूल और सादा पानी से नहलाएं। स्नान कराने के बाद उन्हें पीले वस्त्र धारण कराएं और पीले रंग के आभूषणों से उनका श्रृंगार करें। इसके बाद उन्हें दोबारा से मंदिर में विराजमान करा दें। नहलाने के बाद मूर्ति के साथ खाना, फूल, पानी और घी का दिया रख दें। पूजा के लिए एक पवित्र और साफ सुथरी थाली लें, उसमें गंगाजल, कुमकुम, चंदन, धूप, दीपक और कुछ फूल रख लें। इसके अलावा एक दूसरी प्लेट और लें जिसमें फल-फूल और पानी रखें। इसके साथ ही उसमें घी या तेल का दीपक रख लें।

इसके बाद अपने बाएं हाथ से पानी लेकर सीधे हाथ से पानी लें और ‘ओम अच्युत्याय नम:’ का जाप करें। उस पानी को तुरंत पी जाएं। अब भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति पर चंदन का तिलक लगाएं और दीपक जला देंगे। उसके बाद कृष्ण भजन गाएं। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के पास सात बार धूपबती घुमाएं। अब भगवान श्री कृष्ण के पैरों पर कुमकुम लगाएं और उसके बाद उसे अपने माथे पर लगा लें। पूजा के दौरान श्री कृष्ण से अपने पापों के लिए माफी मांगे। इसके बाद जो फल, पानी और फूल भगवान को चढ़ाए थे, उन्हें आप भी खा सकते हैं।

शुभ मुहूर्त: इस बार जन्माष्टमी 2 सितम्बर, दिन रविवार को है।
निशीथ पूजा का शुभ मुहूर्त: रात में 23:58 -00:44 तक।

जन्माष्टमी का पारण 3 सितम्बर, दिन सोमवार को है।
पारण के दिन अष्टमी तिथि का समाप्ति: 19:19
पारण के दिन रोहिणी का समाप्ति: 20:05

क्‍यों मनाते हैं जन्‍माष्‍टमी: बताया जाता है कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आधी रात में अत्याचारी मामा कंस के विनाश के लिए भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा में अवतार लिया था। इसलिए इस दिन मथुरा में काफी हर्षोउल्लास से जन्माष्टमी मनाई जाती है। दूर-दूर से लोग इस दिन मथुरा आते हैं। इस दिन मथुरा नगरी पूरे धार्मिक रंग में रंगी होती है।

इस दिन भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है और झांकियां सजाई जाती हैं। इसके अलावा मंदिरों में रासलीला का आयोजन भी किया जाता है। नीचे दिए गए वीडियो के मुताबिक 5 हजार 243 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण मध्य रात्रि में इस धरती पर अवतरित हुए थे।

देशभर में जन्माष्टमी की धूम नजर आ रही है। चारों ओर का वातावरण भक्तिमय हो चुका है। भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर काफी खूबसूरती से सजाए गए हैं। इन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। लोगों की जुबां पर राधे-राधे का जाप हो रहा है। श्रीकृष्ण की भक्ति का यह बेहद ही आकर्षक नजारा है।

मालूम हो कि वृंदावन में जन्माष्टमी पर्व पर दही-हांडी का उत्सव मनाया जाता है। यह एक तरह का खेल है, जो काफी पसंद किया जाता है। कहा जाता है कि कृष्ण को माखन बहुत पसंद था। वह कुछ इसी तरह से लोगों के घरों में जाकर माखन खाया करते थे। इसी घटनाक्रम से प्रेरित होकर दही-हांडी के चलन की शुरुआत मानी जाती है। दही हांडी को देखने के लिए लोग काफी दूर-दूर से वृंदावन जाते हैं।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। मथुरा-वृन्दावन में जन्‍माष्‍टमी के अवसर पर बालगोपाल के दर्शन के लिए भारी भींड़ उमड़ती है। यहां पर देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। जन्माष्टमी के दौरान आमतौर पर मथुरा में खूब बारिश होती है। श्रद्धालु इस बारिश के बीच जन्माष्टमी का भरपूर लुत्फ उठाते हैं। जन्माष्टमी पर यह नजारा वाकई दर्शनीय होता है।

मथुरा के अलावा देश भर में काफी हर्षोल्लास के साथ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। भगवान का जन्म कारागार में हुआ था। इसलिए देश भर के अधिकांश कारागारों में कृष्णजन्माष्टमी खासतौर पर मनाई जाती है।