Premanand Maharaj: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। ऐसे में अपने आराध्य को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए विभिन्न तरह से पूजा पाठ करने के साथ-साथ न जाने क्या क्या उपाय अपनाते हैं। लेकिन कई बार लगता है कि प्रभु ने आपको अपनी शरण में नहीं लिया है। ऐसे में संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज जी कहते हैं कि शास्त्रों में खुद इस बात को बताया गया है कि किस व्यक्ति भगवान हर एक व्यक्ति को अपनी शरण में ले लेते हैं और उनके हर एक कष्ट हर लेते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में…

प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं कि स्वयं भगवान के ये वचन है कि अगर संसार से भयभीत होकर मेरे सामने सिर झुका दिया, तो मैं उसे अपने प्राणों से भी ज्यादा प्रेम करूंगा। बस हमको ये बात जान लेनी चाहिए।

इन लोगों को भगवान करते हैं सबसे अधिक प्रेम

श्री रामचरित मानस के सुंदरकांड में कुछ चौपाईयों का जिक्र है। यह भगवान श्री राम और विभीषण के बीच की वार्तालाप है। जिसमें प्रभु श्री राम कहते हैं कि आखिर वह किन लोगों को हमेशा अपनी शरण में ले लेते हैं और उन्हें सबसे अधिक प्रेम करते हैं।

चौपाई

कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू। आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू॥
सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं। जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं॥1॥

यानी जिन लोगों से करोड़ों ब्रह्म हत्याएं की है और वो मेरी शरण में आ जाते हैं, तो उन्हें भी मैं नहीं त्यागता हूं। जो व्यक्ति मेरे सम्मुख होता आता है,त्योही उनके करोड़ों जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।

चौपाई

सुनहु सखा निज कहउँ सुभाऊ। जान भुसुंडि संभु गिरिजाऊ॥
जौं नर होइ चराचर द्रोही। आवै सभय सरन तकि मोही॥1॥

भावार्थ
श्री रामजी कहते हैं कि मैं तुम्हें अपना स्वभाव कहता हूं, जिसे काकभुशुण्डि, शिवजी और पार्वती जी भी जानती हैं। कोई मनुष्य पूरी दुनिया का द्रोही हो और वह वह भी भयभीत होकर मेरी शरण तक कर आ जाए, तो उसे भी साधु बना दूंगा।

चौपाई

तजि मद मोह कपट छल नाना। करउँ सद्य तेहि साधु समाना॥
जननी जनक बंधु सुत दारा। तनु धनु भवन सुहृद परिवारा॥2॥

भावार्थ

अगर कोई व्यक्ति मोह तथा नाना प्रकार के छल-कपट त्याग दे तो मैं उसे बहुत शीघ्र साधु के समान कर देता हूं। माता, पिता, भाई, पुत्र, स्त्री, शरीर, धन, घर, मित्र और परिवार