Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj: वृंदावन के प्रसिद्ध प्रेमानंद महाराज के प्रवचन काफी लोकप्रिय है। जिनका पालन करोड़ों लोग करते हैं। वह बहुत ही छोटी-छोटी सी चीजों को इस तरह से समझाते हैं कि व्यक्ति उन्हें आसानी से धारण कर लेता है। प्रेमानंद महाराज जी के सैकड़ों वीडियो सोशल मीडिया में वायरल रहते हैं। जिनमें वह पूजा-पाठ से लेकर व्यक्ति के आचरण तक के बारे में विस्तार से बताते हैं। प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है जिसमें एक व्यक्ति उनसे पूछ रहा है कि क्या टेंट हाउस बर्तनों में बना प्रसाद ग्रहण करने योग्य होता है। आइए जानते हैं प्रेमानंद महाराज जी ने क्या उत्तर दिया…
गुरुदेव प्रेमानंद जी महाराज से एक भक्त ने एक सवाल पूछा कि जब मंदिरों में उत्सव होता है, तब अक्सर टेंट हाउस से बर्तन मंगवाए जाते हैं। इन बर्तनों में पहले कभी नॉनवेज भी बना होता है और फिर उन्हीं बर्तनों में प्रसाद बनाकर ठाकुर जी को भोग लगाया जाता है। क्या ऐसा करना उचित है। इस पर गुरुदेव ने जवाब दिया कि वृंदावन जैसे पवित्र स्थलों में जैसे राधा वल्लभ जी, बिहारी जी, राधा रमण जी आदि मंदिरों में सब कुछ पूरी तरह पर्सनल और शुद्ध होता है। वहां की रसोई में कोई बाहरी पात्र या व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता।
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गुरुदेव ने आगे स्पष्ट कहते हुए कहा कि ऐसे बर्तनों में बना भोजन, जिसमें पहले मांस पका हो, वह अवक्ष भोजन कहलाता है और उसे भगवान को भोग नहीं लगाया जा सकता। ऐसा भोजन राक्षसी और आसुरी बुद्धि को जन्म देता है, इसलिए इसे पूरी तरह त्याज्य बताया गया।
प्यार-लहसुन पके बर्तनों में बना सकते हैं प्रसाद?
वहीं प्याज और लहसुन के संदर्भ में उन्होंने कहा कि ये वस्तुएं मांस की तरह निषिद्ध नहीं हैं। जैसे आलू, गाजर, मूली ज़मीन के नीचे पैदा होते हैं, वैसे ही प्याज-लहसुन भी होते हैं। ये खुद में बुरे नहीं हैं, लेकिन इनका परिणाम तमोगुण को बढ़ाता है – जैसे क्रोध, आलस्य, प्रमाद, बुरा चिंतन आदि। इसलिए भजन साधना करने वालों को इन्हें नहीं खाना चाहिए, क्योंकि भजन के लिए सतोगुण में रहना आवश्यक होता है।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जिन बर्तनों में सिर्फ प्याज-लहसुन पका हो, उन्हें अच्छे से साफ करके सामान्य भोजन पकाया जाए तो वह खाया जा सकता है। लेकिन मांस वाले बर्तनों में बना खाना नहीं खाना चाहिए, न ही भगवान को उसमें भोग लगाना चाहिए।
गुरुदेव ने अंत में यह भी समझाया कि जब भगवान की सेवा की बात हो, तब पवित्र पात्रों का ही उपयोग करना चाहिए। भगवान को केवल शुद्ध, सात्त्विक, और पवित्रता से बनाए गए भोजन का ही भोग लगाया जाना चाहिए। लेकिन यदि कोई सामान्य परिस्थिति है, जैसे होटल में भोजन करना हो, तो प्याज-लहसुन वाले बर्तनों में बनी रोटी खाई जा सकती है, पर मांस वाले पात्रों से बचना चाहिए। यह संतुलित और व्यावहारिक मार्गदर्शन उन्होंने भक्तों को दिया।
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