Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj: देशभर में शारदीय नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। कई सालों बाद ऐसा हो रहा है जब मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा 9 नहीं बल्कि पूरे 10 दिन की जाएगी। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ शारदीय नवरात्रि आरंभ हो चुकी है, जो दशमी तिथि को व्रत का पारण करने के साथ समाप्त होगी। कई साधक इस दौरान कलश स्थापना करने के साथ व्रत रखते हैं। इसके साथ ही मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं करते है। इसके अलावा कई लोग लहसुन-प्याज तक त्याग देते हैं। वहीं कई लोगों के मन में ये शंका बनी रहती हैं कि नवरात्रि के दौरान लहसुन प्याज का सेवन करने से पाप लगता है या फिर इसका सेवन करने के बाद माता रानी की सेवा नहीं करना चाहिए या नहीं? इस शंका को प्रेमानंद महाराज के एक वीडियो द्वारा दूर की जा सकती है। आइए जानते हैं प्रेमानंद महाराज ने लहसुन-प्याज को खाने को लेकर क्या बात कही है…

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प्रेमानंद महाराज से एकांतिक वार्तालाप में एक साधक ने पूछा कि क्या सावन, नवरात्रि आदि पावन पर्वों में लहसुन-प्याज का सेवन करने से क्या पाप लगता है? इसका जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज कहते हैं साधु-संतों को लहसुन और प्याज का सेवन निषेध बताया गया है क्योंकि इनके सेवन से तमोगुण की वृद्धि होती है, जिससे जप-तप और साधना में बाधा उत्पन्न होती है। हालांकि लहसुन-प्याज खाना पाप नहीं है, क्योंकि इनकी उपज भी अन्य सब्जियों जैसे आलू की तरह ही होती है। लेकिन इनकी प्रवृत्ति भिन्न होने के कारण इन्हें साधकों और जप-तप करने वालों के लिए वर्जित माना गया है। इसी प्रकार दीक्षा प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को भी इनका सेवन नहीं करना चाहिए।

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प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि यदि कोई लहसुन-प्याज खाता है तो भी वह मां दुर्गा की सेवा कर सकता है, लेकिन माता रानी के लिए जो भोग बनाया जाए, वह अवश्य ही बिना लहसुन-प्याज का होना चाहिए।

प्रेमानंद महाराज की एक वीडियो और है जिसमें एक साधक पूछता है कि स्कूल के बच्चों का एक ट्रिप बाहर जाता है कहीं घूमने, तो वहां प्याज-लहसुन का भोजन मिलता है। पर हमारा भी बहुत मन होता है उन बच्चों के साथ जाने का, लेकिन हम कभी बाहर का भोजन नहीं पाते। ऐसे में भूखे मत रहो, राधा-राधा बोलकर पालो। प्याज से थोड़ा-थोड़ा प्यार भी पैदा होता है और उसका प्रभाव इसलिए संत जनों ने उसको निषेध किया है क्योंकि हमें तमोगुण त्याग कर सतोगुण होते हुए भजन में लगना है। इसलिए यह कोई पाप वाला कार्य नहीं है।

जैसे कोई आर्मी में है, व्यापार में है या पढ़ाई में है – उनके लिए छूट है। साधु-महात्मा और जो भागवत मार्ग में अच्छे से चल रहे हैं उनके लिए निषेध है कि वे प्याज-लहसुन न खाएं। यह शराब, मछली, मांस जैसी चीज़ों की तरह पाप नहीं है, लेकिन तमोगुणी होने के कारण भजन का विरोधी भाव पैदा करता है। इसलिए इसे माना किया गया है।

बच्चों के लिए अच्छा है कि न खाएं, आदत न बिगाड़ें। लेकिन यदि ट्रिप पर गए हैं और सब खा रहे हैं, तो आप भूखे बैठे रहो, यह भी उचित नहीं है। ऐसे में थोड़ा विवेक से काम लेना चाहिए। जब सयाने हो जाओगे तब यह निष्ठा पक्की कर लेना कि कभी प्याज-लहसुन न खाना। चाहो तो एक दिन उपवास भी कर सकते हो। गृहस्थ जीवन में तो कई बार परिवार के लोग प्याज-लहसुन खाते हैं। ऐसे में भक्ति का झगड़ा नहीं करना चाहिए।

अपने घर में जो बनाने वाले हों, उनसे प्रार्थना कर सकते हैं कि सबके लिए जैसा बनाएं, लेकिन श्रीजी के लिए थोड़ा बिना प्याज-लहसुन का अलग बना दें। साधक को चाहिए कि वातावरण जैसा हो, वैसे भजन करे। जैसे विभीषण जी राक्षसों के बीच रहकर भी रामभक्ति में लगे रहे।

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गृहस्थ जीवन में या रिश्तेदारी में जब दूसरे घर जाएं तो विवेक से काम लें। चार दिन के लिए गए और सब खा रहे हैं, तो फिर भूखे रहना व्यावहारिक नहीं है। ऐसे में मम्मी को भी ध्यान रखना होगा कि आपके लिए अलग व्यवस्था करें।

दीक्षा लेने के बाद यह नियम और कठोर हो जाता है। फिर प्याज-लहसुन नहीं खाना चाहिए क्योंकि आपने प्रमाण लिया है कि अब हरि-भक्ति में रहेंगे। लेकिन जो बच्चे हैं या नौकरी-पेशा में लगे हैं, उनके लिए यह कोई पाप नहीं है। उन्हें राधा-राधा जपना चाहिए और परिस्थिति के अनुसार विवेकपूर्ण आचरण करना चाहिए। दीक्षा ले चुके साधकों के लिए यह नियम कठोर है कि वे प्याज-लहसुन का सेवन न करें।

सितंबर माह के चौथे सप्ताह शारदीय नवरात्रि के साथ आरंभ हो रहा है। इसके साथ ही इस सप्ताह महालक्ष्मी, सूर्य ग्रहण से लेकर समसप्तक, षडाष्टक, गजलक्ष्मी, नवपंचम, महालक्ष्मी जैसे राजयोगों का निर्माण हो रहा है। ऐसे में कुछ राशि के जातकों को इस सप्ताह विशेष लाभ मिल सकता है। आइए जानते हैं मेष से लेकर मीन राशि तक के जातकों का कैसा बीतेगा ये सप्ताह। जानें साप्ताहिक टैरो राशिफल

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डिसक्लेमर- इस लेख को विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।