Shri Hit Premanand Ji Maharaj: आज के समय में हर कोई अच्छी लाइफस्टाइल के साथ अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं। इनमें से कई लोग ऐसे होते हैं, जो खूब दौलत-शोहरत पाने के साथ ऐशो आराम से जीवन जीते हैं। लेकिन उन्हें और पाने की लालसा से मुक्ति नहीं मिल जाती है। ऐसे ही एकांतिक वार्तालाप में एक व्यक्ति ने महाराज जी से पूछा कि इतना भौतिक व लौकिक उन्नति के बाद भी यह लगता है कि जैसे सफलता अभी नहीं मिली है। आइए जानते हैं प्रेमानंद महाराज जी ने क्या कहा…
प्रेमानंद महाराज ने व्यक्ति की बात सुनते हुए कहा कि विश्व का सब धन भोग तुम्हें मिल जाए, तो भी तुम्हें तृप्ति नहीं होने वाली। महाराज ययाति चक्रवर्ती सम्राट और देवयानी उनकी पत्नी, शुक्राचार्य जी की पुत्री, परम सुंदरी। शुक्राचार्य जी तो कुलगुरु हैं दैत्यों के और समस्त शास्त्रों के ज्ञाता हैं। उनकी पुत्री, कौन सा ज्ञान नहीं होगा? और वह ययाति की पत्नी थी। अपनी यौवन अवस्था भोगने के बाद भी भोगों की अतृप्ति, अपने पुत्र की जवानी ली और उससे भी भोग भोगा वो भी पूरे 1000 वर्ष तक। फिर भी तृप्ति नहीं। तब ऊब करके छोड़ा और यह निर्णय लिखा कि भगवान से विमुख अज्ञानी पुरुष को यदि पूरे संसार की जौधानी स्त्रियां, सब सुख दे दिए जाएं, तो भी तृप्ति नहीं होगी।
प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास जी एक दोहा में कह रहे हैं: “तब लगी कुशल ना जीव कहूं, सपने मन विश्राम।” तब तक जीव को कभी कुशल का अनुभव नहीं होगा, स्वप्न में भी कभी मन विश्राम को प्राप्त नहीं करेगा, जब लगी भजत न राम कहूं, शोक धाम तज काम। इन कामना और वासनाओं का त्याग करके जब तक भगवान का भजन नहीं, तो कामना और वासना की पूर्ति से कामना वासना बढ़ती है और कामना वासना के त्याग से शांति प्राप्त होती है। “त्यागा शांति निरंतरम।” इसलिए हम कामना और वासनाओं का त्याग करें।
जब आपके अंदर कामना-वासना के त्याग करने की हिम्मत नहीं रह गई, तो जो मन कहता है, वो करना पड़ता है। मन कहता है, आज ये खाना है, तो अब वो खाना है। ये भोगना है, तो भोगना है। अगर नहीं भोगेंगे, तो अशांत कर देगा। तो अशांति दूर करने के लिए भोग भोगने की इच्छा रखते हैं। जबकि भोग भोगने से अशांति बढ़ती है। भोगों के त्याग से शांति बढ़ती है। “त्यागा शांति अनंतरम।” तो हमें चाहिए भगवान की शरण होकर, भगवान का नाम जप करते हुए, अन्य कामनाओं का त्याग करें। तो हमारे पास तो इन भोगों में, यश कीर्ति में, रुपया पैसा में, शांति नहीं। शांति तो भगवान के चरणों में है। भगवान के नाम में है।
एक गरीब आदमी हो, भगवान का नाम जप कर रहा हो, भगवान के भरोसे में मस्त। एक अरबपति है, भगवान से विमुख है, वो चिंता में है। उसे नींद की गोली खा के सोना होगा। भगवान के आश्रय के बिना शांति मिलना तो असंभव है। यह पक्की बात समझ लो। यह पक्की बात है। मन कहता है कि अमुक संख्या धनराशि हो जाए तो मैं… लेकिन अमुक संख्या होने पर उससे बढ़कर कामना हो जाती है और वो कभी तृप्त नहीं होता। तृप्त होता है तो “सब तज हरि भज”, सब झंझट छोड़ो। राधा राधा राधा राधा राधा। और जैसे भगवान रख रहे हैं, वैसे संतोष करो और अपने धर्म से कर्म करो। यही जीवन का लाभ है। नहीं तो कभी संतोष के बिना यह कामनाएं कभी नष्ट नहीं होती। “बिन संतोष न काम न साही और अछत काम सुख सपने नाई।” और जब तक कामनाएं, तब तक अशांति ही अशांति है।
अगस्त माह का दूसरा सप्ताह कई राशि के जातकों के लिए लकी हो सकता है। इस सप्ताह बुध कर्क राशि में मार्गी होंगे। इसके साथ ही इस सप्ताह समसप्तक, षडाष्टक, गजलक्ष्मी, नवपंचम, अर्धकेंद्र, त्रिएकादशी जैसे राजयोगों का निर्माण हो रहा है। ऐसे में कुछ राशि के जातकों को इस सप्ताह विशेष लाभ मिल सकता है। आइए जानते हैं मेष से लेकर मीन राशि तक के जातकों का कैसा बीतेगा ये सप्ताह। जानें टैरो साप्ताहिक राशिफल
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