Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj: प्रेमानंद महाराज जी के एकांतिक वार्तालाप के कई वीडियो उनके ऑफिशियल सोशल मीडिया प्लेटफार्म में शेयर करते हैं जिसमें वह व्यक्तियों को साधारण जीवन के साथ भगवान को पाने से लेकर कई छोटी-छोटी बातों को साधारण तरीके से बताते हुए नजर आते हैं। ऐसे ही एक वीडियो प्रेमानंद महाराज का आया है जिसमें वह बता रहें है कि आखिर सबसे बड़ा परोपकार क्या होता है…
एकांतिक वार्तालाप में एक ऐसे व्यक्ति महाराज जी से मिलने आए, जो घर से सांप-नाग आदि को निकालते हैं। इस पर महाराज जी ने कहा कि आप बिना किसी से अर्थ लिए उन बेजुबानों की रक्षा करते हैं, जो उन घरों में मौजूद होते हैं जहां पर भय उपस्थित है। इस भय को निकालने के लिए वह उन जानवरों को मार देंगे और अगर उनसे चूक हो जाएं, तो वह उन्हें डस कर मार लेंगे। आप दोनों प्रकार से यानी पशु-पक्षी और मनुष्यों की रक्षा करते हैं। ये बहुत बड़ा परम धर्म है। बस आप अपना भाव बदल दीजिए। इसे भगवान का कार्य समझ लीजिए। इससे भगवत प्राप्ति का योग बन जाएगा।
प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं कि जैसे यहां पर आप वृंदावन धाम में मौजूद है, तो अवश्य ही आपने कुछ अच्छे काम किए होंगे। किसी योग का फल है यहां पर मौजूद होगा। आपने कभी न कभी परोपकार, भजन, पुण्य अवश्य किया होगा। भगवान की कृपा हुई होगी कि आप यहां बैठे हैं। गोस्वामी तुलसी दास जी कहते हैं कि “पुण्य पुंज बिनु मिलहि न संता” यानी संतों का मिलना भाग्य और पुण्य के बिना संभव नहीं है।
आप जो सेवा करते हैं उसे भगवान की सेवा मानकर करते हैं। अर्थ के बिना किया गया कार्य ही सबसे बड़ा परोपकार होता है। प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि सबसे बड़ा परोपकार वहीं होता है, जो बिना कुछ सोचे अपने प्राणों की बाजी लगाकर हम दूसरों की रक्षा करते हैं उन जहरीले जीवों से जिनके डंसने के बाद केवल अस्पताल में ही उपाय है अगर समय रहते बच जाएं, तो वरना उसका बचना मुश्किल हो जाता है।
प्रेमानंद महाराज एक अन्य वीडियो में परोपकार के बारे में कहते हैं कि सच्चा परोपकार यह है कि इस जन्म में कर्म बंधन को विध्वंस करके, जो संचित कर्म हैं और क्रियमाण को भगवत समर्पित करके प्रारब्ध को भोगते हुए अपने स्वरूप में स्थित हो जाओ, भगवत प्राप्त हो जाओ। इससे बड़ा परोपकार कोई नहीं। अब जब इस कोटि से आपकी स्थिति हो गई, तो आपके द्वारा जगत मंगल स्वाभाविक होगा। खुशबू इत्र की आ गई तो सबकी ग्रहण इंद्रियां अपने आप पहुंच जाएंगी। आप भगवत आनंद में डूबे हुए जिधर निकलेंगे, ना सा तर सा सा लोकान्त – मम भक्ति युक्त भुवन पुनः – वह दृष्टि से, वाणी से मात्र, केवल वहां खड़ा हो जाए, जगत मंगल करना शुरू कर देगा। इससे बड़ा परोपकार क्या हो सकता है जी? स्वयं माया मुक्त होकर के दूसरों के भ्रम का नाश कर देना – इसे ही परोपकार कहते हैं। जैसे कपड़ा दे दिया, खानपान दे दिया, औषधि दे दिया – ये तो प्राकृतिक क्रियाएं हैं। संत जन से परोपकार नहीं, परोपकार यही है उसे भगवान में स्थित कर देना। तो पहले स्वयं स्थित हो। इन तीनों शरीरों का राग त्याग करके सच्चिदानंद में स्थित हो जाओ।
अब वह महापुरुष जगत मंगल के लिए जिधर से निकलेगा, उधर परम मंगल होगा। आपके प्रश्न के अनुसार, आप जैसे प्रश्नकर्ता के लिए यही उत्तर है – अगर परोपकार करना है तो अपने को मुक्त कर लो इन तीनों शरीरों के बंधन से। तो तीनों लोकों पर विजय प्राप्त किया हुआ महापुरुष कहा जाता है। और वह महापुरुष जिधर निकलता है – मम भक्ति यतो भम पुना – जगत का पावन परम कल्याण कर देता है।
यह विश्व का भरण-पोषण करने वाले भगवान यथायोग्य सबको तो दे ही रहे हैं। संत क्या करते हैं? उनकी दुष्टता का विनाश करके साधुता उनके हृदय में लाते हैं। यह संतों का परोपकार है – यह कोई दूसरा नहीं कर सकता। तो आप भगवान के पार्षद हैं, भगवान की कृपा से इस मार्ग में चल रहे हैं, तो आप स्वयं जीवन मुक्त होए और आपके सानिध्य में जो आए, उनको जीवन मुक्त कीजिए – तभी यही सबसे बड़ा परोपकार रहेगा।
टैरो राशिफल के अनुसार, जुलाई माह के तीसरे सप्ताह के साथ सावन माह आरंभ हो रहा है। इस सप्ताह के आरंभ में ही शनि मीन राशि में वक्री होंगे। इसके साथ ही सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे बुध के साथ युति करके बुधादित्य योग का निर्माण करेंगे। इसके अलावा इस सप्ताह गुरु आदित्य, धन शक्ति, गजकेसरी , महालक्ष्मी सहित कई राजयोगों का निर्माण करने वाले हैं। टैरो गुरु मधु कोटिया के अनुसार, टैरो के मुताबिक ये सप्ताह कुछ राशियों का खास हो सकता है। जानें साप्ताहिक टैरो राशिफल
