Pradosh Vrat 2022 October: इस माह में कई व्रत और त्योहार पड़ रहे हैं। प्रदोष 22 को और मासिक शिवरात्रि 23 अक्टूबर 2022 को पड़ रही है। दोनों की व्रत में भगवान शिव की पूजा का महत्व बताया गया है। आइए जानते हैं ज्योतिष के अनुसार पूजा विधि और महत्व क्या है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर माह ही कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को प्रदोष व्रत पड़ता है। वहीं हर माह कृष्ण पक्ष के 14वें दिन को मासिक शिवरात्रि पड़ती है। दोनों की दिन भगवान शिव की पूजा का महत्व बताया गया है। मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत और शिवरात्रि को विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं।

प्रदोष पूजा विधि

सूर्योदय से पहले उठे और स्नान के बाद साफ कपड़े पहने। उसके बाद बेलपत्र, अक्षत और गंगा जल से भगवान शिव की पूजा करें। सूर्यास्त के कुछ देर बाद फिर स्नान करें और सफेद वस्त्र पहनकर पूजा करें और फिर फल ग्रहण करें। इस व्रत में अन्न नहीं ग्रहण किया जाता है।

शिवरात्रि पूजा विधि
शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठे और साफ कपड़े पहनकर किसी मंदिर या घर पर भगवान शिव की पूजा करें। गंगा जल, दूध या गन्ने के रस के रुद्राभिषेक करें। शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा का पाठ करें। ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

प्रदोष व्रत और शिवरात्रि पूजा का महत्व

मान्यता के अनुसार शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की आराधना करने से सभी मनाकामनाएं पूरी हो जाती है। सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। दो गाय के दान के बराबर प्रदोष व्रत का महत्व बताया गया है। वहीं मान्यता के अनुसार अन्य व्रतों से प्रदोश व्रत अधिक लाभकारी होता है।