Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj: अक्सर ऐसा होता है कि हम जीवन में भय, डर  से भरे होते हैं और हमेशा किसी न किसी तरह की बेचैनी होती रहती है। कई बार इसके बारे में समझ हीं पाते हैं। ऐसे में की बार सफलता हाथ से इसलिए निकल जाती है, क्योंकि उस काम के बारे में पहले ही हम अपनी राय दो तरह की बना लेते हैं कि ये होगा कि नहीं। ये दिल और दिमाग में इस तरह से हावी हो जाता है कि समझ में नहीं आता है कि असलियत में सही क्या है। वहीं की बार संकट में होते है, तो समझ नहीं आता है कि कैसे खुद के अंदर एक ऐसी शक्ति लेकर आएंगे कि हर एक समस्या से छुटकारा पा लें। अगर आपका भी मन विचलित रहता है और अज्ञात भय सता रहा है, तो प्रेमानंद महाराज ने एक ऐसा मंत्र बताया है जिसे बोलने मात्र से आप भय मुक्त हो सकते हैं। आइए जानते हैं प्रेमानंद महाराज के इस मंत्र के बारे में…

प्रेमानंद महाराज ने अपने एक वीडियो में सत्संग के दौरान कई महत्वपूर्ण बातें भक्तों से साझा की हैं। इसी दौरान उन्होंने बताया कि आखिर कैसे खुद को समाप्त कर सकते है।

प्रेमानंद महाराज जी कहते है कि  भगवान विष्णु के स्वरूप नरसिंह भगवान का मनन करने मात्र से व्यक्ति भारी से भारी संकट, भय और डर से मुक्त पा सकता है। गुरुदेव ने सिखाया था। ऐसे में अगर आप भी किसी भय, संकट से परेशान है, तो बस नरसिंह भगवान का मनन करते हुए कहे… ”नारायणानंद हरे नृसिंह प्रह्लाद बाधा हरहे कृपालु’ ‘ इस मंत्र को बार-बार बोलें। आप देखेंगे कि आपको अवश्य प्रभाव नजर आ रहा है।

विष्णु भक्त प्रहलाद कहते हैं कि हे नरसिंह देव जो भक्त भय मुक्त होने पर इन शब्दों को बोलता है, तो वो तत्काल भय से मुक्त हो जाएगा।

प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं कि अगर आप इन शब्दों को नहीं बोल पाते हैं, तो  सिर्फ बोले कि हे नरसिंह हे नरसिंह …आप कृपा करें और हमें भय से मुक्त करें।

क्या है ये मंत्र?

बता दें कि ये एक विष्णु मंत्र है, जो प्रार्थना का एक हिस्सा है
नारायणानन्त हरे नृसिंह प्रह्लादबाधाहर हे कृपालो।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति।।

अर्थ – हे प्रह्लाद की बाधा हरने वाले दयामय नृसिंह, नारायण, अनन्त, हरे, गोविन्द, दामोदर! माधव!’–इन नामामृतका हे जिह्वे!तू निरन्तर पान करती रहा हूं…

यह श्लोक भगवान नरसिम्हा के प्रति भक्ति और प्रार्थना को अच्छी तरह से दर्शाता है। विष्णु जी ने अपने भक्त प्रह्लाद की परेशानियों को हरने के लिए नरसिंह रूप धरा था और उनके असुर पिता हिरण्यकश्यप का वध किया था।

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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