Pongal 2020: पोंगल तमिल हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। जो हर साल 14 या फिर 15 जनवरी को पड़ता है। सूर्य के मकर राशि में जाने पर उत्तर भारत में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2020) तो दक्षिण भारत (केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश) में पोंगल त्योहार मनाया जाता है। यहां लोग सूर्य को अन्न धन का दाता मानकर चार दिनों तक ये उत्सव मनाते हैं। दक्षिण भारत में धान की फसल को समेटने के बाद खुशी प्रकट करने के लिए पोंगल का पर्व मनाया जाता है और ईश्वर से आने वाली फसल के अच्छे होने की प्रार्थना भी की जाती है।

कैसे मनाया जाता है पोंगल? पोंगल त्योहार पर लोग अपने घरों को अच्छे से सजाते हैं। घर के द्वार पर रंगोली बनाई जाती है और एक दूसरे को मिठाई भेजकर इस पर्व की शुभकामनाएं दी जाती हैं। समृद्धि के लिए वर्षा, धूप, इन्द्रदेव, सूर्य तथा खेतिहर मवेशियों की अराधना की जाती है। इस त्योहार के पहले दिन कूड़ा कचरा को जलाया जाता है, दूसरे दिन माता लक्ष्मी की पूजा तो तीसरे दिन पशु धन की पूजा की जाती है। चौथे दिन काली की पूजा होती है।

पोंगल का अर्थ: तमिल में पोंगल का अर्थ है उफान या फिर विप्लव। पोंगल के दिन सूर्य भगवान को लगाये जाने वाले भोग को पगल कहा जाता है और तमिल भाषा में इस शब्द का अर्थ है अच्छी तरह उबालना। इस दिन चावल, दूध, घी, चीनी को एक साथ मिलाकर उसे अच्छे से उबालकर सूर्य भगवान के लिए भोग तैयार किया जाता है।

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पोंगल की पौराणिक कथा: तमिल मान्‍यताओं के अनुसार, पोंगल के पर्व को मनाने की कथा भगवान शिव से संबंधित है। मट्टू भगवान शंकर का बैल है जिसे एक भूल के कारण भगवान शंकर ने पृथ्वी पर भेज दिया और कहा कि वह मानव जाति के लिए अन्न पैदा करे। तब से मट्टू पृथ्वी पर रहकर कृषि कार्य में सहायता कर रहा है। इसलिए इस दिन किसान अपने बैलों को स्नान कराकर उनके सींगों में तेल लगाते हैं और अलग अलग प्रकार से बैलों को सजाते हैं और फिर उनकी पूजा की जाती है। बैल के साथ गाय और बछड़ों की भी पूजा की जाती है।