Love MarriageIn Kundli: ज्योतिष शास्त्र मुताबिक व्यक्ति की जन्मकुंडली की रीडिंग करके उसके वैवाहिक जीवन, आर्थिक स्थिति, करियर, कारोबार और सेहत के बारे में पता लगाया जा सकता है। साथ ही उसके वर्तमान, भूत और भविष्य के बारे में भी जाना जा सकता है। वहीं यहां हम बताने जा रहे हैं जन्मकुंडली से यह भी पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति की अरेंज मैरिज होगी या अरेंज। दरअसल कुंडली में दांपत्य जीवन के लिए सप्तम स्थान, सप्तमेश, नवांश, गुरु और शुक्र ग्रह का विचार किया जाता है। जिसके आधार पर वैवाहिक जीवन के बारे में पता लगाया जा सकता है। आइए जानते हैं…
जन्मकुंडली में लव मैरिज के योग
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- ज्योतिष अनुसार आपसी पहलु, स्थिति और युति के साथ सातवें स्थान के स्वामी का पंचम भाव के स्वामी के साथ संबंध हो या फिर आपसी युति प्रेम विवाह के लिए एक मजबूत योग बनाता है।
- लग्न स्थआन में शुक्र के साथ पंचम भाव के स्वामी का संयोजन या युति और सातवें स्थान का पहलू होने से व्यक्ति को प्रेम विवाह होने की संभावना रहती है।
- जन्मकुंडली में शुक्र और चंद्रमा की युति और पंचम और सप्तम स्थान के स्वामी के साथ संबंध हो तो व्यक्ति को प्रेम विवाह का सुख मिलता है।
- वैदिक ज्योतिष अनुसार जहां 11वां स्थान महत्वाकांक्षाओं और इच्छा की पूर्ति का भाव होता है, वहीं पांचवा स्थान प्रेम और भावनाओं का स्थान होता है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में एकादश और पंचमेश भाव को एक साथ मिलाया जाए साथ में सातवें भाव या सातवें भाव के स्वामी के साथ कोई संबंध हो तो भी व्यक्ति के जीवन में प्रेम विवाह के प्रबल योग बनते हैं।
- यदि राहु का संबंध पंचम या सातवें स्थान से हो या शुक्र के साथ संयोग बन रहा हो तो व्यक्ति की शादी एक अंतरजातीय, अंतर धर्म विवाह हो सकती है।
- यदि शुक्र पांचवें या सातवें घर में मंगल के साथ स्थित है तो यह प्रेम को विवाह के प्रबल योग बनते हैं। हालांकि ज्योतिष के मुताबिक विवाह के बाद जीवन में समस्याएं बनी रह सकती है। पति- पत्नी में छोटी- छोटी बातों पर लड़ाई होती है।
- यदि सप्तम भाव के स्वामी पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो और शुक्र अपनी उच्च राशि में या स्वराशि में हो तो व्यक्ति की शादी 18, 19 या 20 की उम्र में हो जाती है। साथ ऐसे लोगों का जीवनसाथी लॉयल होता है।