Pitru Visarjan Amavasya : पितृ विसर्जन अमावस्या की शाम को पितरों को विदा किया जाता है। इसलिए इस अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या कहा गया है। इसका एक नाम सर्वपितृ अमावस्या (Sarvapitra Amavasya) भी है। पंजाब-हरियाणा के कई क्षेत्रों में इसे बड़मावस (Badhmavas) भी कहा जाता है। पितृ विसर्जन अमावस्या 2020 (Pitru Visarjan Amavasya 2020) इस बार 17 सितंबर, बृहस्पतिवार को है। माना जाता है कि बृहस्पतिवार को पितरों को विदा करने से पितृ देव बहुत प्रसन्न होते हैं। क्योंकि यह मोक्ष देने वाले भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है।
यह पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है। हिंदू धर्म में इस दिन का महत्व बहुत अधिक है। मान्यता है कि हर साल पितृपक्ष आरंभ होने पर सभी पितृ धरती पर आते हैं और पितृपक्ष के आखिरी दिन (Last Day of Pitru Paksh 2020) यानी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को वापस अपने लोक चले जाते हैं। माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से नमन कर अपने पितरों को विदा करता है उसके पितृ देव उसके घर-परिवार में खुशियां भर देते हैं। जिस घर के पितृ प्रसन्न होते हैं पुत्र प्राप्ति और मांगलिक कार्यक्रम उन्हीं घरों में होते हैं।
पितृ विसर्जन विधि (Pitru Visarjan Vidhi)
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर बिना साबुन लगाए स्नान कर साफ कपड़े पहनें। इस दिन घर में सात्त्विक भोजन ही बनाएं। शाम के समय चार मिट्टी के दीपकों में सरसों का तेल और रुई की बत्ती डालकर जलाएं। इन्हें घर की चौखट पर रख दें। एक दीपक लें। उसे सरसों का तेल और रुई की बत्ती डालकर जलाएं। एक लोटे में जल लें। संध्या समय घर में बैठकर अपने पितरों से यह प्रार्थना करें कि पितृपक्ष समाप्त हो गया है इसलिए वह परिवार के सभी सदस्यों को आशीर्वाद देकर अपने लोक में जाएं।
साथ ही यह भी निवेदन करें कि अगले साल पितृपक्ष आने तक घर में उनका आशीर्वाद बना रहे। परिवार के सभी सदस्य खुश और स्वस्थ रहें। घर में मांगलिक कार्यक्रमों की भी शुरुआत हो। यह प्रार्थना कर एक हाथ में पानी का लोटा और दूसरे हाथ में एक जलता हुआ दीपक लेकर मंदिर जाएं। मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने पीपल के पेड़ के नीचे वह दीपक रखकर और पानी चढ़ाकर पितरों से यह प्रार्थना करें कि अब वह यहां से अपने लोक में जाएं। ध्यान रहे कि पितृ विसर्जन विधि के दौरान किसी से भी बात ना करें। जब मंदिर से लौटकर घर आ जाएं तब अपने घर के मंदिर में हाथ जोड़कर ही किसी से बात करें।