Sarva Pitru Amavasya 2024: शास्त्रों में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष बताया गया है। पंचांग अनुसार पितृ अमावस्या हर साल आश्विन कृष्ण अमावस्या के पड़ती है। इसको महालया अमावस्या भी कहा जाता हैं। इस दिन पूर्वजों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म करने का विधान है। सर्वपितृ अमावस्या पर पीपल के वृक्ष का पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। क्योंकि इस वृक्ष में पितरों का वास माना गया है। इस साल पितृ अमावस्या 02 सितंबर को पड़ रही है। आपको बता दें कि भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृ पक्ष आरंभ होते हैं और इसका समापन आश्विन मास की अमावस्या के दिन होता है। इस साल पितृ पक्ष 18 सितंबर से शुरू हो गए हैं। आइए जानते हैं तिथि, महत्व और तर्पण विधि…
जानिए पितृ अमावस्या तिथि
पंचांग अनुसार आश्विन माह की अमावस्या तिथि 01 अक्टूबर, 2024 को रात्रि 09 बजकर 38 मिनट पर आरंभ होगी। वहीं इस तिथि का अंत 03 अक्टूबर को रात्रि 12 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में सर्वपितृ अमावस्या बुधवार 02 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
सर्वपितृ अमावस्या शुभ मुहूर्त (Sarva Pitru Amavasya Muhurat)
कुतुप मुहूर्त – 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक
रौहिण मुहूर्त – 12 बजकर 34 मिनट से 13 बजकर 21 मिनट तक
सर्व पितृ अमावस्या महत्व
सर्व पितृ अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। क्योंकि इस दिन पितरों की विदाई की जाती है।इसे पितृ विसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन वह लोग खासकर पूजा कराते हैं। जिनकी कुंडली में पितृ दोष होता है। पितृ दोष होने से विवाह होने में देरी, दांपत्य जीवन में दिक्कत, संतान होने में बाधा, करियर में परेशानी होती है। इसलिए इस दिन पित्रों मतलब अपने पूर्वजों के नाम से पिंड दान और तर्पण किया जाता है। जिससे वह प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करें। । मान्यता है कि इस तिथि पर पितृ पुनः पितृ लोक को जाते हैं।
तर्पण के लिए करें इस मंत्र का जप
‘ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम’
पितृ गायत्री मंत्र का करें जप
तर्पण करते समय पितृ गायत्री मंत्र का जप जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैंं। साथ ही सुख- समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पितृ गायत्री मंत्र : ओऊम् देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः ।।