Food to Avoid In Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत खास महत्व माना जाता है। साल में एक बार आने वाला यह समय पूरी तरह से पितरों को समर्पित होता है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक यह चलता है। इसे श्राद्ध पक्ष कहा जाता है। इन 16 दिनों तक पितरों को याद कर श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उनका आशीर्वाद मिलता है। लेकिन पितृ पक्ष में केवल पूजा-पाठ ही नहीं, बल्कि खान-पान से जुड़ी कुछ विशेष सावधानियां भी रखी जाती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दौरान किन चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए।
पितृ पक्ष में सात्विक भोजन क्यों जरूरी है?
पितृ पक्ष के दौरान सात्विक भोजन करना सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि भोजन से ही मन और विचार प्रभावित होते हैं। सात्विक आहार खाने से मन शांत रहता है और पूजा-पाठ में मन लगता है। वहीं तामसिक भोजन करने से मानसिक शांति भंग हो सकती है और व्यक्ति चिड़चिड़ा या आलसी महसूस करता है। यही कारण है कि श्राद्ध कर्म के दौरान हल्का और सात्विक भोजन करने की सलाह दी जाती है।
पितृ पक्ष में किन चीजों से करें परहेज
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष में कुछ खास खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए। इनमें सफेद चना, काला चना, मसूर की दाल, उड़द की दाल, काले सरसों के दाने, जीरा और काला नमक शामिल हैं। इसके अलावा चावल, गेहूं और चने का सत्तू भी इन दिनों सेवन करने की मनाही है। माना जाता है कि इन चीजों को खाने से पितर नाराज होते हैं।
किन सब्जियों का सेवन न करें
सब्जियों में भी कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें पितृ पक्ष में वर्जित माना गया है। इनमें बैंगन, करेला, खीरा, लहसुन और प्याज शामिल हैं। यह सब तामसिक भोजन की श्रेणी में आते हैं। इसके अलावा अरबी, मूली और आलू का सेवन भी श्राद्ध काल में नहीं करना चाहिए।
इन चीजों से भी करें परहेज
सब्जियों और दालों के अलावा कुछ और खाने-पीने की चीजें भी इस दौरान नहीं खानी चाहिए। जैसे पान और बासी भोजन। मान्यता है कि बासी भोजन पितरों के लिए अशुद्ध माना जाता है और इससे श्राद्ध कर्म का महत्व कम हो जाता है।
इन कामों से भी करें परहेज
पितृ पक्ष के दौरान केवल खान-पान ही नहीं बल्कि जीवनशैली में भी सावधानी बरतनी चाहिए। इस समय नया काम शुरू करना अशुभ माना जाता है। नए कपड़े खरीदना और पहनना भी वर्जित है। इसके अलावा नाखून और बाल काटने से भी बचना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से पितर नाराज हो जाते हैं। साथ ही, दरवाजे पर आए पशु-पक्षी या कोई जरूरतमंद व्यक्ति को भूखा-प्यासा नहीं लौटाना चाहिए।
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