Tripindi Shradh in Pitru Paksha 2025: 7 सितंबर 2025 से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है और आज यानी 8 सितंबर को पितृ पक्ष का पहला यानी प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है, जो पितरों को समर्पित है। इस दौरान पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों में पितृ धरती पर आते हैं और अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं। धार्मिक मान्यता है कि जैसे देवी-देवता हमारे जीवन की रक्षा करते हैं, वैसे ही पितर भी अपने कुल को संकटों से बचाते हैं। इसलिए 16 दिनों तक हर तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है ताकि परिवार में सुख-शांति बनी रहे और हर मंगल कार्य में किसी भी तरह की कोई बाधा ना आए। वहीं, पितृ पक्ष में त्रिपिंडी श्राद्ध भी किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर त्रिपिंडी श्राद्ध क्या होता है और इसे कौन कर सकता है? तो आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं…

त्रिपिंडी श्राद्ध क्या है?

पितृ पक्ष के दौरान कई प्रकार के श्राद्ध किए जाते हैं। भविष्यपुराण में 12 तरह के श्राद्ध का उल्लेख मिलता है। इनमें से एक है त्रिपिंडी श्राद्ध। इसका अर्थ है – परिवार की पिछली तीन पीढ़ियों के लिए पिंडदान करना। अगर परिवार में किसी की असमय मृत्यु हो गई हो, चाहे कम उम्र में, बुढ़ापे में या किसी दुर्घटना से, तो उनकी आत्मा की शांति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध करना चाहिए।

क्यों किया जाता है त्रिपिंडी श्राद्ध?

हिंदू शास्त्रों के अनुसार तमोगुणी, रजोगुणी और सत्तोगुणी – ये तीन प्रकार की प्रेत योनियां होती हैं। अगर कोई आत्मा अपूर्ण इच्छाओं के कारण या अकाल मृत्यु की वजह से अशांत रहती है, तो वह आगे आने वाली पीढ़ियों को परेशान कर सकती है। ऐसे में त्रिपिंडी श्राद्ध करने से उन आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पितृ पक्ष में कब करें त्रिपिंडी श्राद्ध?

त्रिपिंडी श्राद्ध पूरे पितृ पक्ष में नहीं किया जाता, बल्कि इसे विशेष तिथियों पर ही किया जाता है। यह श्राद्ध पंचमी, अष्टमी, एकादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या के दिन किया जा सकता है। इन दिनों किए गए श्राद्ध विशेष फलदायी माने जाते हैं।

कहां होता है त्रिपिंडी श्राद्ध?

त्रिपिंडी श्राद्ध का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह त्र्यम्बकेश्वर में ही किया जाता है। यह स्थान भगवान शिव का प्रमुख धाम है। यहां पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश की विशेष पूजा-अर्चना के साथ यह श्राद्ध सम्पन्न होता है।

कौन कर सकता है त्रिपिंडी श्राद्ध?

हर कोई यह श्राद्ध नहीं कर सकता। इसे करने के लिए शास्त्रों में कुछ नियम बताए गए हैं। अविवाहित पुरुष इसे कर सकते हैं, लेकिन अविवाहित महिलाएं नहीं कर सकतीं। पति-पत्नी अपने पितरों के लिए यह श्राद्ध कर सकते हैं। विधवा महिला भी त्रिपिंडी श्राद्ध कर सकती है। ऐसा माना जाता है कि इस विधि को करने से न केवल पितरों को शांति मिलती है बल्कि पूरे परिवार का कल्याण भी होता है।

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