Mahalaya Amavasya: महालया अमावस्या का शास्त्रों में विशेष बताया गया है। वैदिक पंचांग के मुताबिक भाद्रपद माह की पूर्णिमा से आश्विन माह की अमावस्या तक का पक्ष ‘महालय’ श्राद्ध पक्ष कहते है। महालया अमावस्या को ही सर्व पितृ अमावस्या कहते हैं। साथ ही महालया अमावस्या पर पितृपक्ष समाप्त होता है। इन दिन श्राद्ध, तर्पण और गंगा स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। इस साल महालया श्राद्ध 25 सितंबर को पड़ रहा है। आइए जातने हैं महालया श्राद्ध शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…

सर्वपितृ अमावस्या तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या तिथि 25 सितंबर को सुबह 3 बजकर 10 से मिनट से शुरू होगी और अमावस्या तिथि 26 सितंबर को सुबह 3 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए सर्व पितृ अमावस्या 25 सितंबर को मनाई जाएगी।

जानिए शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:35 से आरंभ होकर 5:23 बजे तक रहेगा।

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:47 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक रहेगा।

गोधुली मुहूर्त: शाम 6:02 बजे से शाम 6:26 बजे तक है।

विजय मुहूर्त: दोपहर 2:13 बजे से 3:01 बजे तक है।

इस विधि से करें तर्पण

सर्वपितृ अमावस्या पर पिंड दान और तर्पण करने का मुख्य विधान है। साथ ही इस दिन पितृ दोष शांति का भी विशेष महत्व है। इस दिन घर आए किसी गरीब या जरूरतमंद को खाली हाथ नहीं भेजना चाहिए। उसे कुछ पैसे, अन्न, वस्त्र आदि का दान अवश्य करना चाहिए। साथ ही इस दिन किसी  योग्य ब्राह्राण से तर्पण और पिंड दान करा सकते हैं। इसमें हाथ में कुशा की एक अंगूठी बनाई जाती है। कुश में अमृत का वास माना जाता है। कहते हैं सागर मंथन के समय कुश पर कुछ अमृत बूंदें गिरी थीं। इसलिए कुश मरता नहीं है।

साथ ही तर्पण करने वाले व्यक्ति का मुख दक्षिण दिशा में होना चाहिए। क्योंकि वास्तु शास्त्र के अनुसार पितृों की दिशा दक्षिण मानी गई है। वहीं अगर आप अपने पिता का तर्पण कर रहे हैं तो सबसे पहले अपने गोत्र का उच्चारण करें, गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र को बोलकर गंगा जल या अन्य जल में दूध, तिल और जौ मिलकर 3 बार पिता को जलांजलि दें। ऐसा करने से आपको पितृों का आशीर्वाद प्राप्त होगा। साथ ही घर के सभी सदस्यों की तरक्की में कोई बाधा नहीं आएगी।