Pitru Paksha:शास्त्रों में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। पितृ पक्ष में पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। मान्यता है श्राद्ध और तर्पण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। वहीं पितृ पक्ष में आपने देखा होगा कि पंचग्रास निकाला जाता है। खासकर जब आप किसी व्यक्ति का श्राद्ध डाल रहे हो, मतलब जिस दिन ब्राह्राणों को भोजन कराया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है ये पंचग्रास क्यों निकाला जाता है। इसका क्या महत्व और लाभ हैं। आइए जानते हैं…
पंचग्रास का महत्व और लाभ
श्राद्ध पक्ष में पंचग्रास का विशेष महत्व बताया गया है। आपको बता दें कि पंंचग्रास भोजन में 5 जगहों पर भोजन निकाला जाता है जिसे गाय, चींटी, कौए और कुत्ते को खिलाया जाता है। मान्यता है कि पंचग्रास भोजन से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वह प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। वैसे तो श्राद्ध पक्ष में रोजाना ही पंचग्रास निकाल सकते हैं। लेकिन खासकर उस दिन पंचग्रास निकालने का विशेष महत्व होता है जिस दिन पूर्वजों के नाम से आप किसी ब्राह्राण को भोजन करा रहे हो। इसके लिए भोजन को 5 पत्तलों पर निकालें और फिर मंत्रों के साथ संकल्प बोलें। श्राद्ध का सही समय दोपहर 12 बजे के बाद माना जाता है। इसके बाद ही ब्राह्राणों को भोजन और तर्पण करना चाहिए।
ऐसे निकालें पंचग्रास
शास्त्रों के अनुसार सबसे पहला ग्रास गाय के लिए निकालने का नियम है, जिसे गो बलि भी कहते हैं। वहीं इसके बाद दूसरी बलि (ग्रास) कुत्ते को निकाला जाता है, जिसको श्वान बलि कहते हैं, फिर तीसरा ग्रास कौआ, जिसे काक बलि कहते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार श्राद्ध पक्ष के दौरान पितर कौओं के रूप में धरती पर आते हैं। वहीं चौथा ग्रास देव बलि होता है, जिसे जल में प्रवाहित कर देने का प्रावधान है या फिर गाय को खिलादें। साथ ही अंतिम पांचवां ग्रास चीटियों के लिए निकाला जाता है, जिसे पिपीलिकादि बलि कहा जाता है। पंच ग्रास देते समय अलग- अलग मंत्र बोलने का प्रावधान है।
पंचग्रास को पंचबली और पंचाली भोग के नाम से भी जाना जाता है। वहीं पंचबली के भोग से पितरों की आत्मा तृप्त और प्रसन्न होकर अपने वंशजों को खूब स्नेह व आशीर्वाद देती है। साथ ही घर में सुख- शांति का वास रहता है।