हर साल पितृ पक्ष 15 दिनों के लिए आता है। इन दिनों पित्रों के निमित्त श्राद्ध कर्म और तर्पण किए जाते हैं। साथ ही पूर्वजों का आशीर्वाद लिया जाता है और गलतियों के लिए क्षमा मांगी जाती है। पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। इस साल पितृ पक्ष 10 सितंबर से शुरू हो रहे हैं और 25 सितंबर तक रहेंगे। वहीं पंचांग के अनुसार 12 साल बाद ऐसा हो रहा है जब श्राद्ध 16 दिन के पड़ रहे हैं। जिसे शुभ नहीं माना जा रहा है। क्योंकि शास्त्रों में श्राद्धों की तिथियां बढ़ना शुभ नहीं माना गया है। वहीं इस बार 17 सितंबर को कोई श्राद्ध नहीं होगा। आइए जानते हैं तिथियां और कुतुप और रोहना श्राद्ध का मुहूर्त…

पितृ पक्ष का शुभ मुहूर्त

शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष श्राद्ध, पर्व श्राद्ध होते हैं और इन्हें करने का शुभ समय कुतुप मुहूर्त और रोहिना मुहूर्त होता है। इसके बाद तर्पण होता है। तर्पण गंगा जी में करना सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। जिसमें सूर्य की तरफ मुंह करके अंजुली से जल देते हैं। ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में पूर्वज स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिवारीजनों से भोजन और जल पान की आस करते हैं। प्रतिपदा श्राद्ध शनिवार 10 सितंबर से शुरू हैं आइए जानते हैं इस दिन का कुतुप और रोहिना मुहूर्त…

कुतुप मुहूर्त- दोपहर 12:10 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक, अवधि 50 मिनट

रोहिना मुहूर्त – दोपहर 01:00 बजे से दोपहर 01:48 बजे तक, अवधि: 48 मिनट 

अपराह्न मुहूर्त- 01:49 अपराह्न से 04:16 अपराह्न, अवधि: 02 घंटे 27 मिनट

कब किस तिथि का श्राद्ध
दिन – श्राद्ध
10 सितम्बर – प्रतिपदा का श्राद्ध
11 सितम्बर – द्वितीया का श्राद्ध
12 सितम्बर – तृतीया का श्राद्ध
13 सितम्बर – चतुर्थी का श्राद्ध
14 सितम्बर – पंचमी का श्राद्ध, भरणी नक्षत्र का श्राद्ध
15 सितम्बर – षष्ठी का श्राद्ध, कृतिका नक्षत्र का श्राद्ध
16 सितम्बर – सप्तमी का श्राद्ध
17 सितम्बर – इस दिन कोई श्राद्ध नहीं है
18 सितम्बर – अष्टमी का श्राद्ध
19 सितम्बर – नवमी का श्राद्ध, सौभाग्यवती श्राद्ध
20 सितम्बर – दशमी का श्राद्ध
21 सितम्बर – एकादशी का श्राद्ध
22 सितम्बर – द्वादशी का श्राद्ध, संन्यासियों का श्राद्ध
23 सितम्बर – त्रयोदशी का श्राद्ध, मघा नक्षत्र का श्राद्ध
24 सितम्बर – चतुर्दशी का श्राद्ध, विष-शस्त्रादि से मृतकों का श्राद्ध
25 सितम्बर – अमावस्या का श्राद्ध, सर्वपिृत श्राद्ध, महालया श्राद्ध