श्राद्ध पक्ष 2019 यानी पितृ पक्ष 14 सितंबर से शुरु होने जा रहा है। इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए उनका तर्पण किया जाता है और इनके नाम से पिंडदान, श्राद्ध और ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है। गरुड़ पुराण और मार्कण्डेय पुराण के अनुसार पितर अपने परिजनों के पास पितृपक्ष श्राद्ध के समय आते हैं और अपनों से अन्न जल एवं आदर की अपेक्षा करते हैं। जिन परिवार के लोग पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध नहीं करते उन्हें पितृ दोष लगता है। जानें पितरों की शांति के लिए कैसे करें श्राद्ध, क्या है सामग्री और मंत्र…

श्राद्ध करने की विधि:
– श्राद्ध वाले दिन सुबह उठकर स्नान कर देव स्थान व पितृ स्थान को अच्छे से साफ कर लें।
– अपनी इच्छानुसार घर के आंगन में रंगोली बना लें।
– महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाने की तैयारी करें।
– श्राद्ध विधि पूरे करने के लिए श्राद्ध का अधिकार श्रेष्ठ ब्राह्मण (या कुल के अधिकारी जैसे दामाद, भतीजा आदि) को न्यौता देकर बुलाएं। ब्राह्मण से पितरों की पूजा एवं तर्पण आदि कराएं।
– पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, दही, घी और खीर अर्पित करें।
– पितरों के लिए बनाए गए भोजन के 4 ग्रास निकालें जिसमें एक हिस्सा गाय, एक कुत्ते, एक हिस्सा कौए और एक अतिथि के लिए रखें।
– जानवरों को भोजन देने के बाद ब्राह्मण को आदरपूर्वक भोजन कराएं, मुखशुद्धि, वस्त्र, दक्षिणा आदि से सम्मान करें।
– ब्राह्मण स्वस्तिवाचन तथा वैदिक पाठ करें एवं गृहस्थ एवं पितर के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त करें।

इन स्थानों पर किये जाते हैं पिंडदान

आर्थिक कारण या अन्य किसी कारणों से यदि कोई व्यक्ति बड़ा श्राद्ध नहीं कर सकता लेकिन अपने पितरों के लिए कुछ करना चाहता है, तो उसे पूर्ण श्रद्धा भाव से अपने सामर्थ्य अनुसार उपलब्ध अन्न, साग-पात-फल और दक्षिणा किसी ब्राह्मण को दे देनी चाहिए। यदि ऐसा कर पाना भी संभव न हो तो तो 7-8 मुट्ठी तिल, जल समेत किसी योग्य ब्राह्मण को दान कर दें। इससे भी श्राद्ध का पुण्य प्राप्त होता है।

श्राद्ध मन्त्र/ Shradh Mantra:
पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
पितर: पितरो त्वम तृप्तम भव पित्रिभ्यो नम:।।

श्राद्ध का महत्व और सभी तिथियां जानें यहां

पितरों के तर्पण के लिए सामग्री: श्राद्ध में पितरों का तर्पण करने के लिए तिल, जल, चावल, कुशा, गंगाजल आदि का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। वहीं केला, सफेद फूल, उड़द, गाय के दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, जौ, मूंग, गन्ना के इस्तेमाल से पितर प्रसन्न होते हैं। श्राद्ध के दौरान तुलसी, आम और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और सूर्यदेवता को सूर्योदय के समय अर्ध्य जरूर दें।