पितृ पक्ष शुरू हो चुका है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का खास महत्व है। इस दौरान घर के सदस्य अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि श्राद्ध करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज हमसे मिलने आते हैं। ऐसे में यदि उनका श्राद्ध नहीं किया जाए तो वे नाराज हो सकते हैं। बताते हैं कि पितरों के नाराज होने से घर के सदस्यों को कई तरह की पेरशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए पितृ पक्ष में श्राद्ध का खास महत्व है। मालूम हो कि पितृ पक्ष में घर के किस सदस्य को श्राद्ध करना चाहिए और किसे नहीं, इस संदर्भ में पुराणों में विस्तार से जानकारी दी गई है।
सामान्य तौर पर मृतक के ज्येष्ठ पुत्र को श्राद्ध करने का अधिकार होता है। हालांकि ज्येष्ठ पुत्र के नहीं होने पर अथवा श्राद्ध कर्म नहीं कर पाने की स्थिति में छोटा पुत्र भी श्राद्ध कर सकता है। मृतक के पुत्र नहीं होने की स्थिति में पौत्र या प्रपौत्र को भी श्राद्ध करने का अधिकार दिया गया है। कुछ परिवारों में सभी पुत्र अलग-अलग रहते हैं। ऐसी दशा में हर एक पुत्र के लिए अपने मृतक पूर्वज का श्राद्ध करने की बात कही गई है। यदि मृतक को पुत्र की संतति नहीं हुई हो तो उसका भाई भी श्राद्ध कर सकता है।
मालूम हो कि कुछ ग्रंथों में स्त्रियों के पास भी श्राद्ध देने का अधिकार होने की बात कही गई है। इसके मुताबिक यदि पुत्र नहीं हो तो भाई से पहले मृतक की पत्नी के पास श्राद्ध करने का अधिकार है। पत्नी और संतान के नहीं होने की स्थिति में मृतक की माता और बहन को भी श्राद्ध करने का अधिकार दिया गया है। इसके साथ ही यदि पुत्र श्राद्ध करने की स्थिति में नहीं हो तो पुत्र वधु भी अपने पितरों का श्राद्ध कर सकती है।