Pitru Paksh 2018, Tarpan Timing: आज(सोमवार) से श्राद्ध आरंभ हो रहा है। श्राद्ध कुल 16 दिनों तक रहता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक श्राद्ध भाद्रपद के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या को खत्म होता है। श्राद्ध को पितृ पक्ष भी कहा जाता है। इस दौरान लोग अपने पितरों यानी कि पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। इसके साथ ही पितृ पक्ष में पितरों के लिए तर्पण भी किया जाता है। मालूम हो कि पितृपक्ष के आखिरी दिन यानी अमावस्या को सर्वपित्रू अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन पिंडदान करने का विधान है। अमावस्या पर उन्हीं लोगों का पिंडदान किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि पता नहीं हो। पितृ पक्ष के पहले दिन यानी कि पूर्णिमा पर भी पिंडदान करने का विधान है। इस दिन उन लोगों पिंडदान किया जाता है जिनकी मृत्यु पूर्णिमा के दिन हुई हो।

श्राद्ध करने का मुहूर्त:

कुतुप मुहूर्त: 11:48 से 12:36 तक।

रौहिण मुहूर्त: 12:36 से 13:24 तक।

अफराह्न काल: 13:24 से 15:48 तक।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ लोगों की कुंडली में पितृ दोष काफी प्रबल होता है। कहते हैं कि ऐसे लोगों को तर्पण जरूर करना चाहिए। माना जाता है कि तर्पण करने मात्र से हमारे पूर्वज काफी प्रसन्न हो जाते हैं। पितृ पक्ष में पूर्वज हमारे घर में आते हैं। घर के लोगों को उनका आशीर्वाद मिलता है। इस आशीर्वाद से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। कुंडली में पितृ दोष नहीं होने पर भी तर्पण करने के लिए कहा गया है। और पितृ दोष होने पर कुल सोलह दिनों में से तीन दिन एक उपाय करना अनिवार्य माना गया है। इसके तहत आप सोलह बताशे लें और उन पर दही डाल दें। इसे पीपल के पेड़ को अर्पित कर दें। इससे पितृ दोष के समाप्त होने की मान्यता है।