What to do During periods in Navratri 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है। नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा की आराधना के लिए बेहद पवित्र माने जाते हैं। इस दौरान भक्त उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-पाठ करते हैं। खासतौर पर महिलाएं इस व्रत को बड़े उत्साह से करती हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि नवरात्रि के बीच में ही महिलाओं को मासिक धर्म आ जाता है। ऐसे में उनके मन में यह दुविधा रहती है कि पूजा और व्रत को कैसे निभाया जाए। तो आपको बता दें कि शास्त्रों में इस स्थिति से जुड़े कुछ खास नियम बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर महिलाएं अपनी भक्ति पूरी निष्ठा से कर सकती हैं। तो चलिए जानते हैं इन नियमों के बारे में…

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महिलाएं पड़ जाती हैं दुविधा में

हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। नवरात्र के 9 दिन सबसे शुद्ध और पवित्रता वाले माने जाते हैं। इस दौरान ज्यादातर घरों में घटस्थापना और मां दुर्गा की नियमित पूजा होती है। महिलाएं इस पर्व को खास मानती हैं, लेकिन मासिक धर्म की स्थिति में कई बार वे असमंजस में पड़ जाती हैं। यह सोच उन्हें परेशान करती है कि पूजा करनी चाहिए या नहीं।

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भक्ति का भाव सबसे महत्वपूर्ण

शास्त्रों के अनुसार मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो हर 22 से 28 दिन में रिपीट होती है। यदि किसी महिला को पहले से आशंका हो कि नवरात्रि के बीच मासिक धर्म आ सकता है, तो वे चाहें तो पूरा व्रत न रखें और केवल पहला व अंतिम व्रत कर लें। जिन महिलाओं को कमजोरी, चक्कर या अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होती है, उन्हें उपवास करने से बचना चाहिए। मगर जो महिलाएं बिना किसी दिक्कत के उपवास कर सकती हैं, वे फलाहार ले सकती हैं और मानसिक भक्ति कर सकती हैं।

पूजा सामग्री और प्रतिमा को न छुएं

मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को मां दुर्गा की प्रतिमा या पूजा सामग्री को स्पर्श नहीं करना चाहिए। इस अवधि में वे शारीरिक रूप से पूजा न करके मानसिक रूप से व्रत कर सकती हैं। भक्ति में सबसे जरूरी है श्रद्धा और निष्ठा, शारीरिक शुद्धि उसके बाद आती है।

पाठ और ध्यान कर सकती हैं महिलाएं

मासिक धर्म के समय महिलाएं दुर्गा सप्तशती का पाठ मन ही मन कर सकती हैं। यदि पाठ याद न हो तो इंटरनेट या मोबाइल के जरिए उसे पढ़ सकती हैं। स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके किसी एकांत स्थान पर बैठकर यह पाठ करने से भी व्रत का फल मिलता है।

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व्रत निभाने का तरीका

यदि नवरात्रि शुरू होने से पहले ही मासिक धर्म आ जाए तो बेहतर है कि महिलाएं व्रत न रखें। लेकिन यदि संकल्प लिया है तो पूजा किसी अन्य सदस्य से करवाई जा सकती है। स्वयं केवल ध्यान, जप और पाठ करें। इस तरह से भी मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।

मानसिक जप और ध्यान है जरूरी

नवरात्रि में यदि मासिक धर्म आ जाए तो महिलाओं को निराश होने की जरूरत नहीं है। मां दुर्गा का मानसिक जप, ध्यान और मन से प्रार्थना करने से भी उन्हें पूरा फल मिलता है। देवी मां केवल श्रद्धा और भक्ति को देखती हैं।

आखिरी व्रत तक आ जाए मासिक धर्म तो

अगर किसी महिला ने पहला व्रत कर लिया है और आखिरी व्रत तक मासिक धर्म आ जाए तो भी उन्हें अंतिम व्रत जरूर करना चाहिए। जैसे ही मासिक धर्म समाप्त हो, स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए।

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