मोती को मुख्यत: रत्न नहीं माना जाता है। मोती एक जैविक संचरना है। इसके बावजूद मोती को नवरत्नों की श्रेणी में शामिल किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में मोती को चंद्रमा का रत्न बताया गया है। मोती का इस्तेमाल कुछ विशेष परिस्थितियों में औषधि के रूप में भी किया जाता है। कहते हैं कि चंद्रमा की तरह ही उसका रत्न मोती भी शांत, सुंदर और शीतल होता है। और इसका प्रभाव सीधे इसे धारण करने वाले व्यक्ति के मन और शरीर के रसायनों पर पड़ता है। मोती के बारे में कहा जाता है कि इसका प्रभाव कभी भी बहुत तेज नहीं होता और यह धीरे-धीरे काफी सूक्ष्म मात्रा में असर डालता है।
मोती को कई लोग गहनों में लगाकर धारण करना पसंद करते हैं। मान्यता है कि मोती धारण करने से मन शांत रहता है जिससे व्यक्ति तनाव में आने से बचता है। ऐसा भी कहा जाता है कि मोती धारण करने से नींद अच्छी आती है। साथ ही इससे व्यक्ति का डर दूर होता है। कहते हैं कि मोती को धारण करने से शरीर के हार्मोंस संतुलित रहते है। इससे व्यक्ति की सेहत काफी अच्छी बनी रहती है। मालूम हो कि मोती धारण करने से धनलाभ होने की बात भी कही गई है।
मोती के विषय में ऐसा कहा जाता है कि यह नुकसान नहीं करता है। हालांकि जानकारों की राय है कि मोती धीरे-धीरे ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए मोती को धारण करने पर कुछ विशेष सावधानियां बरतने के लिए कहा गया है। कहा जाता है कि मोती को लापरवाही से धारण करने से व्यक्ति की मानसिक स्थिति खराब हो सकती है। ज्योतिष का कहना है कि मेष, कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न के लोगों के लिए मोती धारण करना काफी उत्तम होता है। जबकि वृषभ, मिथुन, कन्या, मकर और कुंभ लग्न वालों को मोती धारण करने से दूर ही रहना चाहिए।