Pearl Gemstone Wearing Rules: हमारे जीवन में ग्रह-नक्षत्रों का बड़ा असर होता है। हर ग्रह हमारे शरीर या मन के किसी हिस्से से जुड़ा हुआ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह कहा गया है। अगर किसी व्यक्ति का मन अशांत रहता है या बार-बार परेशानियों में फंस जाता है तो इसका संबंध उसके जन्मकुंडली में चंद्रमा से हो सकता है। ऐसे में चंद्रमा को मजबूत करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। इन्हीं उपायों में एक उपाय है रत्न पहनना। चंद्रमा का रत्न होता है ‘मोती’, जिसे पहनने से मन शांत होता है और मानसिक संतुलन बेहतर होता है। लेकिन इसे पहनने से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि इसका पूरा लाभ मिल सके। ऐसे में आइए जानते हैं मोती पहनने का सही तरीका…

ज्योतिष में मोती का महत्व

ज्योतिष के अनुसार जिस मोती को चंद्रमा का रत्न माना जाता है, वह समुद्र में पाया जाता है। सफेद, गोल और चमकदार मोती को सबसे उत्तम माना गया है। खासकर कर्क लग्न वालों के लिए मोती बेहद शुभ रत्न होता है, क्योंकि कर्क राशि का स्वामी ग्रह भी चंद्रमा ही होता है। इसके अलावा मेष, वृश्चिक और मीन लग्न वाले लोग भी मोती पहन सकते हैं। जिन लोगों को ज्यादा गुस्सा आता है या बार-बार मानसिक तनाव रहता है, उनके लिए भी मोती पहनना बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी रत्न को धारण करने से पहले किसी अच्छे और अनुभवी ज्योतिष से सलाह जरूर लें। क्योंकि अगर बिना सही सलाह के मोती पहनने से इसका उल्टा असर भी हो सकता है।

किस उंगली में पहनना चाहिए मोती?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मोती को हमेशा कनिष्ठिका उंगली यानी सबसे छोटी उंगली में पहनना चाहिए। इसे चांदी की अंगूठी में जड़वाकर शुभ दिन और शुभ मुहूर्त में धारण करना चाहिए। वहीं, बिना पूजा-पाठ किए या सही समय के बिना पहनना नुकसानदायक हो सकता है।

कब और कैसे पहनें मोती?

मोती खरीदने और पहनने के लिए भी खास दिन और तरीका बताया गया है। ज्योतिष के अनुसार, मोती को सोमवार के दिन खरीदना शुभ माना जाता है। साथ ही अगर आप इसे पहनना चाहते हैं तो शुक्ल पक्ष के सोमवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन शाम के समय मोती को पहले दूध में डुबोकर अच्छे से साफ करें, फिर गंगाजल से धो लें। उसके बाद उसे सफेद कपड़े में रखकर विधि-विधान से पूजा करें। पूजा करते समय चंद्रमा के बीज मंत्र ‘ॐ सों सोमाय नमः’ का एक माला (108 बार) जप करें। इसके बाद चंद्र देवता का ध्यान करके अंगूठी को कनिष्ठिका उंगली में पहनें। ऐसा माना जाता है कि इससे चंद्रमा मजबूत होता है और व्यक्ति के मन में शांति आती है।

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