हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदी पंचाग के अनुसार एक वर्ष में 24 एकादशी के व्रत आते हैं। माना जाता है कि जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या 26 होती है। पौष माह में आने वाली एकादशी का नाम पुत्रदा एकादशी है। माना जाता है कि इस दिन पुत्र प्राप्ति के लिए व्रत करना फलदायक माना जाता है। निसंतान और संतान सुख की चाहत रखने वाले दंपतियों को इस दिन व्रत अवश्य करना चाहिए। पुत्रदा एकादशी वर्ष में दो बार आती है, एक बार श्रावण के माह में तो दूसरी पौष माह में, इस माह पुत्रदा एकादशी हिंदू पंचाग के अनुसार 29 दिसंबर 2017 को है।

पौष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत करने वाले लोगों को दशमी तिथि से ही सात्विक भोजन करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु के पूजन का विधान बताया गया है। दशमी की तिथि की रात से ही भगवान विष्णु के नाम का जाप शुरु कर दिया जाता है। एकादशी के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का महत्व माना गया है। यदि नदी में स्नान करना संभव नहीं हो पाए तो गंगा जल को नहाने के पानी में मिलाकर स्नान किया जा सकता है।

श्री विष्णु पूजन में उनके चित्र के आगे दीपक जलाकर व्रत का संकल्प करें। कलश पर लाल कपड़ा बांधकर ही पूजा करनी चाहिए। विष्णुप्रतिमा को स्नान कराने के बाद चंदन, सिंदूर, फूल आदि से पूजन करें। इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार दान भी किया जा सकता है। पूरे दिन बिना अन्न ग्रहण किए रहने के बाद एकादशी की रात को व्रत का पारण किया जाता है। रात को भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करने के बाद ही व्रत खोलना चाहिए। इस दिन दीपदान का महत्व भी माना जाता है। शाम को पूजन विधि के साथ ही व्रत का पारण करना चाहिए।