Paush Purnima Vrat 2025: शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करने का विधान है। इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि के दिन जो व्यक्ति स्नान दान के कार्य करता है वह शुभ फलदायी माने जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा का व्रत करने से व्यक्ति को सभी दुख और कष्टों से मुक्ति मिलती है। यहां बात करने जा रहे हैं पौष पूर्णिमा के बारे में, जो 13 जनवरी को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं पौष पूर्णिमा का व्रत कब रखा जाएगा।
पौष पूर्णिमा का व्रत तिथि (Paush Purnima 2025 Tithi)
वैदिक पंचांग के मुताबिक पौष माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 13 जनवरी को सुबह में 5 बजकर 1 मिनट पर होगा और पूर्णिमा तिथि अगले दिन 14 जनवरी को सुबह 3 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में पूर्णिमा तिथि उदयकाल में 13 जनवरी को होने के कारण पूर्णिमा का व्रत 13 जनवरी सोमवार के दिन रखा जाएगा।
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
पंचांग की गणना के मुताबिक, पौष पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रात: काल 5:2 मिनट से लेकर सुबह 6:22 मिनट तक है। इस समय आप स्नान-दान कर सकते हैं।
पौष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
पौष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही सूर्यदेव की विधिपूर्वक पूजा करने से मृत्योपरांत भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पूजा के साथ ही इस दिन स्नान-दान को भी विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन से ही कल्पवास की शुरुआत हो जाती है, जो कि अगले पूर्णिमा यानी माघ महीने तक चलता है। वहीं पौष पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाने के साथ कन्याओं को प्रसाद के रूप में बांटना शुभ माना जाता है। साथ ही ऐसा करने से धन आगमन का मार्ग बनता है। पौष पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी का विधिवत पूजा करें और 11 पीले रंग की कौड़ियां मां लक्ष्मी को चढ़ाएं। इसके बाद इन्हें लाल या पीले रंग के कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहती है।