भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़े कई प्रसंग बड़े ही प्रसिद्ध हैं। इन प्रसगों को आए दिन भक्तों के बीच में शेयर किया जाता रहता है। हम भी आपके लिए शिव और पार्वती से जुड़ा एक बड़ा ही दिलचस्प प्रसंग लेकर आए हैं। इस प्रसंग में उस घटनाक्रम का जिक्र किया गया है, जब अपने साथ हुए छल की वजह से पार्वती जी ने शिव, विष्णु, नारद, कार्तिकेय और रावण को श्राप दे दिया था। बता दें कि इस प्रसंग का उल्लेख वामनपुराण में मिलता है। कहते हैं कि एक बार शिव जी ने माता पार्वती से द्युत यानी जुआ खेलने की इच्छा प्रकट की थी। इसके बाद शिव और पार्वती ने जुआ खेलना शुरू किया। बताते हैं कि शिव जी इस जुए में अपना सब कुछ हार गए। इसके बाद उन्हें पत्तों का वस्त्र पहनकर गंगा नदी के किनारे जाना पड़ा।

प्रसंग के मुताबिक जब इस बात की जानकारी कार्तिकेय को हुई तो वह पार्वती जी के पास गए। इस बार पार्वती और कार्तिकेय के बीच जुआ खेला गया। कार्तिकेय ने पार्वती जी को हरा दिया और शंकर जी की सारी वस्तुएं लेकर उनके पास चले गए। इसके बाद पार्वती ने इस घटनाक्रम की जानकारी गणेश जी को दी। इस पर गणेश कार्तिकेय से जुआ खेलने उनके पास पहुंच गए और उन्हें हरा दिया। लेकिन नाराज शंकर ने पार्वती के पास लौटने से मना कर दिया। दूसरी तरफ रावण ने बिल्ली का रूप धारण करके गणेश के वाहन मूषक को डरा दिया।

बताते हैं कि शंकर जी के कहने पर विष्णु जी ने पासा का रूप धारण कर लिया। इसके बाद शिव जी पार्वती के पास जुआ खेलने के लिए पहुंच गए। इस बीच नारद ने कहा कि यदि शंकर हार गए तो आप मेरी वीणा ले लीजिएगा। शंकर जी ने पार्वती को हरा दिया। लेकिन गणेश ने पार्वती से बता दिया कि विष्णु जी ने पासा का रूप धारण किया है। इस छल से क्रोधित पार्वती ने श्राप दिया कि भोले को गंगा का बोझ सिर पर ढोना पड़ेगा, नारद किसी एक जगह पर नहीं टिकेंगे, विष्णु का शत्रु रावण होगा, रावण का वध विष्णु जी करेंगे और कार्तिकेय हमेशा बाल रूप में ही रहेंगे।