Parivartini Ekadashi 2025 Shubh Muhurat Puja Vidhi Mantra Paran Time: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस एकादशी का अत्यंत विशेष महत्व है। इसे पद्मा एकादशी और जलझूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि चातुर्मास के आरंभ में भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग की शैया पर योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस अवधि में सृष्टि संचालन का दायित्व भगवान शिव को सौंप दिया जाता है। चातुर्मास की यह अवधि चार माह तक रहती है और इसमें कुल आठ एकादशियां आती हैं।

Aaj Ka Panchang 03 September 2025: परिवर्तिनी एकादशी व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त, राहुकाल और बुधवार का दैनिक पंचांग

हर एकादशी का अपना अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। इनमें से परिवर्तिनी एकादशी का स्थान विशेष है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा के दौरान करवट बदलते हैं। इसी कारण इसे “परिवर्तिनी” यानी करवट बदलने वाली एकादशी कहा जाता है। इसे भाद्रपद मास की अंतिम एकादशी भी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस एकादशी का व्रत करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह व्रत जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और आरोग्य प्रदान करता है। इस दिन व्रत करके भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। जानें परिवर्तिनी एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, पारण का समय और विष्णु जी की आरती…

Parivartini Ekadashi Vrat Katha In Hindi: परिवर्तिनी एकादशी पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, अनजाने में किए गए पापों से मिलेगी मुक्ति

परिवर्तिनी एकादशी 2025 तिथि (Parivartini Ekadashi 2025 Date)

द्रिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल एकादशी तिथि का आरंभ 3 सितंबर को तड़के 3 बजकर 53 मिनट पर आरंभ होगा, जो 4 सितंबर गुरुवार को तड़के 4 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 3 सितंबर को रखा जाएगा।

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परिवर्तिनी एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Parivartini Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

परिवर्तिनी एकदशी पर इस साल आयुष्मान योग, सौभाग्य योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। इस अवधि में विष्णु जी की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति हो सकती है।

लाभ-उन्नति मुहूर्त- 06:00 ए एम से 07:35 ए एम

अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त- 07:35 ए एम से 09:10 ए एम

आयुष्मान योग – प्रात:काल से लेकर शाम 4 बजकर 17 मिनट
सौभाग्य योग- शाम 4 बजकर 17 मिनट से आरंभ
रवि योग- सुबह 06:00 से लेकर रात 11 बजकर 8 मिनट तक

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परिवर्तिनी एकादशी पर रहेगा भद्रा का साया (Parivartini Ekadashi 2025 Bhadra Kaal)

इस साल परिवर्तिनी एकादशी के दिन भद्रा का साया रहेगा। इस समय भद्रा का वास पाताल लोक में है। बता दें कि इस दिन भद्रा का आरंभ शाम 4 बजकर 12 मिनट से होगा, जो 4 सितंबर को तड़के 4 बजकर 21 मिनट तक । इसके अलावा परिवर्तिनी एकादशी पर राहुकाल दोपहर में 12 बजकर 20 मिनट से शुरू होगा, जो दोपहर में 01 बजकर 55 मिनट तक है।

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परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पारण समय (Parivartini Ekadashi 2025 Paran Time)

परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पारण 4 सितंबर को दोपहर में 1 बजकर 36 मिनट से शाम 4 बजकर 7 मिनट के बीच कर सकते हैं। इस दिन हरि वासर का समापन सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर होगा।

परिवर्तिनी एकादशी 2025 पूजा विधि (Parivartini Ekadashi 2025 Puja Vidhi)

एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद संभव हो, तो पीले रंग के वस्त्र धारण कर लें। फिर हाथों में थोड़ा सा अक्षत और पीला रंग का फूल लेकर व्रत का संकल्प लें और इसे विष्णु जी को अर्पित कर दें। अब पूजा आरंभ करें। सबसे पहले एक तांबे के लोटे में जल, दूध, लाल फूल और अक्षत डालकर सूर्यदेव को जल दें। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद विष्णु जी की पूजा आरंभ करें। एक लकड़ी की चौकी में पीला रंग का वस्त्र बिछाकर श्री हरि विष्णु जी के तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद पीला फूल, चंदन, अक्षत आदि अर्पित करने के बाद भोग लगाएं। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर विष्णु जी के मंत्र, चालीसा, व्रत कथा का पाठ करने के बाद अंत में आरती कर लें।

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सितंबर माह के पहले सप्ताह कई राजयोगों का निर्माण होने वाला है। इस सप्ताह सूर्य की बुध से सिंह राशि में युति हो रही है, जिससे त्रिग्रही के साथ बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा इस सप्ताह समसप्तक, षडाष्टक, गजलक्ष्मी, नवपंचम, महालक्ष्मी जैसे राजयोगों का निर्माण हो रहा है। ऐसे में कुछ राशि के जातकों को इस सप्ताह विशेष लाभ मिल सकता है। आइए ज्योतिषी सलोनी चौधरी से जानते हैं मेष से लेकर मीन राशि तक के जातकों का कैसा बीतेगा ये सप्ताह। जानें साप्ताहिक टैरो राशिफल

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डिसक्लेमर- इस लेख को विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।