हिंदू धर्म में कई सारे प्रसंग बड़े ही प्रसिद्ध हैं। इन प्रसंगों को आए दिन लोग कहते-सुनते रहते हैं। आज हम भी आपके लिए एक बड़ा ही रोचक प्रसंग लेकर आए हैं। इस प्रसंग में उस घटनाक्रम का उल्लेख किया गया है जब परशुराम ने अपनी माता का वध कर दिया था। ऐसे में यह जानना काफी दिलचस्प हो जाता है कि आखिर वो कौन सी परिस्थितियां थीं जिनके चलते परशुराम को ऐसा करना पड़ा। शास्त्रों में परशुराम को भगवान विष्णु का अवतार बताया गया है। परशुराम के पिता का नाम जमदग्नि तथा माता का नाम रेणुका था। उनके चार बड़े भाई थे। परशुराम अपने चारों भाइयों में सबसे ज्यादा गुणी थे। उन्हें कई सारी कलाओं में महारत हासिल थी।

प्रसंग के मुताबिक, एक दिन परशुराम की मां रेणुका स्नान करने गई हुई थीं। रेणुका स्नान करने के बाद आश्रम वापस लौटने लगीं। उन्होंने रास्ते में राजा चित्ररथ को जलविहार करते हुए देखा। यह देखकर उनका मन विचलित हो गया। रेणुका ने उसी अवस्था में आश्रम में प्रवेश किया। महर्षि जमदग्नि को इस बात का जानकारी मिल गई। इसी समय वहां पर परशुराम के बड़े भाई रुक्मवान, सुषेणु, वसु और विश्वावसु भी आ गए। जमदग्नि ने उन सभी को बारी-बारी से अपनी मां का वध करने का आदेश दिया। लेकिन कोई भी ऐसा नहीं कर सका। इस पर मुनि ने उन्हें श्राप दिया जिससे उनकी विचार शक्ति नष्ट हो गई।

परशुराम भी कुछ समय बाद वहां पर आ गए। परशुराम ने पिता का आदेश मानते हुए अपनी माता का वध कर दिया। जमदग्नि यह देखकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने परशुराम को वरदान मांगने के लिए कहा। परशुराम ने अपनी माता रेणुका को पुनर्जीवित करने और चारों भाइयों को ठीक करने का वरदान मांगा। साथ ही उन्होंने अजेय रहने का वरदान भी मांग लिया। परशुराम ने पिता से यह भी कहा कि यह घटनाक्रम को याद नहीं रहना चाहिए। महर्षि जमदग्नि ने उनकी सभी मनोकामनाएं को पूरा कर दिया।