Parama Ekadashi 2023 Date: सनातम धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सालभर में 24 एकादशी पड़ती है, लेकिन इस साल अधिक मास होने के कारण कुल 26 एकादशी पड़ रही है। अदिक मास में पड़ने वाली एकादशी 3 साल के बाद आती है। इसलिए इन एकादशी का धार्मिक महत्व अधिक होता है। भगवान विष्णु को समर्पित इस व्रत को रखने और विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अधिक मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को परमा एकादशी कहते हैं। जानिए परमा एकादशी का शुभ मुहूर्त, पारण का समय, पूजा विधि, आरती और मंत्र।

परमा एकादशी 2023 (Parama Ekadashi 2023 Date)

परमा एकादशी तिथि प्रारंभ: 11 अगस्त,शुक्रवार को सुबह 5 बजकर 6 मिनट से शुरू
परमा एकादशी तिथि समापन: 12 अगस्त , शनिवार को सुबह 6 बजकर 31 मिनट तिथि

परमा एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त (Parama Ekadashi 2023 Shubh Muhurat)

परमा एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 7 बजकर 28 मिनट से 9 बजकर 7 मिनट

परमा एकादशी व्रत पारण का समय (Parama Ekadashi 2023 Paran Time)

13 अगस्त को सुबह 5 बजकर 49 मिनट से सुबह 8 बजकर 19 मिनट तक।

परमा एकादशी 2023 पूजा विधि (Parama Ekadashi 2023 Puja Vidhi)

परमा एकादशी के ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करने के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु का मनन करते हुए व्रत का संकल्प ले लें। अब एक लकड़ी की चौकी में पीले रंग का वस्त्र बिछाकर श्री विष्णु की मूर्ति या फिर तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद विष्णु जी को पीले रंग के फूल, पीला चंदन, अक्षत आदि चढ़ाने के साथ मिठाई, खीर आदि का भोग लगाएं। फिर घी का दीपक और धू जलाकर विष्णु चालीसा, मंत्र, एकादशी व्रत कथा का पाठ कर लें। अंत में विधिवत आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें। इसके साथ ही दिनभर फलाहारी व्रत रखने के बाद शुभ मुहूर्त में पारण कर दें।

श्री विष्णु मंत्र (Shri Vishnu Mantra)

एकादशी के दिन श्री विष्णु से संबंधित इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं।

  • ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय
  • ऊं नमोः नारायणाय॥
  • ऊं श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥ मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः।

श्री विष्णु आरती (Shri Vishnu Aarti)

ऊं जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे॥
भक्त जनों के संकट,क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का॥
सुख सम्पति घर आवे,कष्ट मिटे तन का॥

मात पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी॥
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ मैं जिसकी॥

तुम पूरण परमात्मा,तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परमेश्वर,तुम सब के स्वामी॥

तुम करुणा के सागर,तुम पालनकर्ता॥
मैं सेवक तुम स्वामी,कृपा करो भर्ता॥

तुम हो एक अगोचर,सबके प्राणपति॥
किस विधि मिलूँ दयामय,तुमको मैं कुमति॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे॥
करुणा हस्त बढ़ाओ, द्वार पड़ा तेरे॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा॥
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥

तन-मन-धन सब है तेरा॥
तेरा तुझको अर्पण,क्या लागे मेरा॥

ऊं जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे |
भक्त जनों के संकट,दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे। ऊं जय जगदीश हरे ||