Papmochni Ekadashi 2024: सनातन धर्म में एकादशी का सर्वाधिक महत्व है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने का विधान है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहते हैं यानी पापों से मुक्ति दिलाने वाली एकादशी। आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ दिनभर व्रत रखने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु अति प्रसन्न होते हैं और हर दुख-दर्द से छुटकारा दिला देते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। आइए जानते हैं पापमोचनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और आरती…

पापमोचनी एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त (Papmochni Ekadashi 2024 Shubh Muhurat)

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि- 04 अप्रैल को शाम 04 बजकर 15 मिनट पर आरंभ
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त- 05 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 29 मिनट पर

पापमोचनी एकादशी के पारण का समय (Papmochni Ekadashi 2024 Paran Time)

हिंदू पंचांग के अनुसार, 6 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 5 मिनट से सुबह 8 बजकर 37 मिनट तक है।

पापमोचनी एकादशी 2024 पूजा विधि (Papmochni Ekadashi 2024 Puja Vidhi)

आज सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु का पूजा शुरू करें। सबसे पहले जल, पंचामृत, गंगाजल आदि से अभिषेक करें। फिर उन्हें पीले फूल, माला, पीला चंदन चढ़ाने के साथ अनार, लौंग, नारियल चढ़ाने के साथ भोग और तुलसी दल चढ़ाएं। फिर जल चढ़ाएं और घी का दीपक और धूप जलाकर एकादशी व्रत कथा, विष्णु चालीसा, विष्णु मंत्र आदि कर लें। अंत में विष्णु आरती करने के बाद भूल चूक के लिए माफी मांग लें। इसके बाद दिनभर व्रत रखने के बाद दूसरे दिन शुभ मुहूर्त में पारण कर दें।

श्री विष्णु जी की आरती: ॐ जय जगदीश हरे (Shri Vishnu Aarti)

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥

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