Panchak Start On Mahashivratri: हिंदू धर्म में हर शुभ काम अच्छा मुहूर्त देखकर किया जाता है। जिससे उस काम की शुभता बनी रहे। साथ ही ज्योतिष के अनुसार भी अशुभ समय में किए गए काम मनचाहा परिणाम नहीं देते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भक्त भोलेनाथ की पूजा- अर्चना और रुद्राभिषेक करते हैं। इस बार महाशिवरात्रि 1 मार्च यानि की मंगलवार को पड़ रहीं हैं। लेकिन इसी दिन से पंचक भी शुरू हो रही हैं। ज्योतिष शास्त्र में पंचक को अशुभ माना जाता है। इस दौरान कुछ खास काम करने की मनाही होती है। आइए जानते हैं पंचक के समय और किन कामों को पंचकों में नहीं करना चाहिए…
पांच नक्षत्रों का समूह है पंचक
आपको बता दें कि चंद्रमा गोचर में जब कुंभ और मीन राशि में स्थित होता है तो यह समय पंचक का माना जाता है। वहीं पंचक की समय अवधि पांच दिन की होती है। इसलिए इसे पंचक कहा जाता है। पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। वहीं हम आज आपको बताएंगे पंचकों में कौन- कौन से काम करना वर्जित होते हैं और ये कितने प्रकार के होते हैं।
पंचक का समय:
वैदिक पंचाग के अनुसार पंचक 1 मार्च को शाम 4 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 6 मार्च तड़के 2 बजकर 29 मिनट तक रहेंगी।
पंचक में निषेध हैं ये पांच काम:
1- पंचक के दौरान चारपाई बनवाना शुभ नहीं माना जाता। विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से आपके ऊपर कोई संकट आ सकता है।
2- पंचक के दौरान घास, लकड़ी, आदि जलने वाली वस्तुएं एकत्र नहीं करनी चाहिए। अन्यथा आग लगने का भय रहता है।
3- दक्षिण दिशा में पंचकों के दौरान यात्रा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि यह दिशा यम और पितरों की मानी गई है। इसलिए इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।
4- पंचक के दौरान घर की छत नहीं बनवानी चाहिए। ऐसा करने से घर में क्लेश और धन की हानि हो सकती है।
5- शय्या का निर्माण पंचकों के दौरान नहीं करना चाहिए।
पंचक काल में मृत्यु होने पर:
पंचक काल में मृत्यु होना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि अगर किसी की मृत्यु पंचक काल में हुई है तो उसके परिवार, कुल या रिश्तेदारी में जन हानि हो सकती है। इससे बचने के लिए मृतक के शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश के बनाकर रखने चाहिए। ऐसा करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।
