Padmini Ekadashi 2023 Date: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हर साल 24 एकादशी पड़ती है। लेकिन इस साल पूरी 26 एकादशी पड़ रही है। दरअसल, हर तीन साल के बाद अधिक मास आता है। ऐसे में 2 एकादशी बढ़ जाती है। अधिक मास में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व है। श्रावण अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मिनी एकादशी के नाम से जानते हैं। इसके अलावा इसे कमला एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ व्रत रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। माना जाता है अधिक मास की पद्मिनी एकादशी के दिन व्रत रखने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है और अंत में मोक्ष मिलता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, पद्मिनी एकादशी काफी है, क्योंकि करीब 19 साल बाद ब्रह्म योग बढ़ रहा है। जानिए पद्मिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, शुभ योग और आरती।
19 साल बाद पद्मिनी एकादशी पर बन रहा खास योग (Padmini Ekadashi 2023 Auspicious Yog)
हिंदू पंचांग के अनुसार, पद्मिनी एकादशी के दिन अधिक मास, सावन होने के साथ-साथ शनिवार का योग है। इसके साथ ही इस दिन ज्येष्ठा और ब्रह्म योग बन रहा है। माना जा रहा है कि ऐसा संयोग करीब 19 साल बाद बन रहा है। बता दें कि ज्येष्ठा नक्षत्र रात 11 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही ब्रह्म योग सुबह 9 बजकर 34 मिनट है। इसके बाद इंद्र योग लग जाएगा।
पद्मिनी एकादशी 2023 तिथि (Padmini Ekadashi 2023 Tithi)
अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी आरंभ- 28 जुलाई 2023 को दोपहर 2 बजकर 51 मिनट पर शुरू
अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी समाप्त- 29 जुलाई को दोपहर 1 बजकर 05 मिनट
पद्मिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त (Padmini Ekadashi 2023 Shubh Muhurat)
पूजा का शुभ मुहूर्त- 29 जुलाई को सुबह 4 बजे से 11 बजे तक
पद्मिनी एकादशी 2023 व्रत पारण समय (Padmini Ekadashi 2023 Paran Time)
पद्मिनी एकादशी व्रत का पारण 30 जुलाई 2023 को सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 8 बजकर 23 मिनट तक कर सकते हैं।
पद्मिनी एकादशी 2023 पूजा विधि (Padmini Ekadashi 2023 Puja Vidhi)
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद विष्णु जी का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें। सबसे पहले एक तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, अक्षत और लाल रंग का फूल डालकर सूर्यदेव को अर्ध्य दें। इसके बाद श्री हरि की पूजा आरंभ करें।
एक लकड़ी की चौकी में पीला रंग का वस्त्र बिछाकर विष्णु जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद विष्णु जी को अभिषेक करें। अगर मूर्ति है, तो शंख में जल और गंगाजल डालकर विधिवत तरीके से अभिषेक करें। इसके अलावा पंचामृत से भी अभिषेक कर सकते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु को फूल, माला, पीला चंदन, अक्षत आदि चढ़ाएं। इसके साथ ही भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद घी का दीपक और धूप जला लें। इसके बाद एकादशी व्रत कथा के साथ विष्णु चालीसा और मंत्र का जाप कर लें। अंत में आरती करके भूलचूक के लिए माफी मांग लें।
पद्मिनी एकादशी पर पढ़ें ये मंत्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥ ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
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