पद्मा एकादशी का विष्णु पुराण में विशेष महत्व बताया गया है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन लोग विष्णु भगवान की पूजा- अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पद्मा एकादशी मनाई जाती है। इस दिन वामन भगवान की पूजा भी होती है. वामन देव, भगवान विष्णु के अवतार थे। जिन्होंने राजा बलि से तीन पग भूमि का दान मांगा था। वहीं इस दिन भगवान विष्णु शयन करते हुए करवट लेते हैं इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस साल यह यह एकादशी 6 सितंबर को पड़ रही है। वहीं इस दिन 4 विशेष संयोग भी बन रहे हैं। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, योग और महत्व…

जानिए पद्मा एकादशी तिथि

ज्योतिष पंचांग के अनुसार पद्मा एकादशी तिथि 06 सितंबर को सुबह 5 बजकर 54 मिनट से शरू हो रही है। साथ ही एकादशी तिथि की समाप्ति 7 सितंबर, बुधवार को सुबह 3 बजकर 04 मिनट पर होगी। वहीं जो लोग उदयातिथि को मानते हैं वो लोग पद्मा एकादशी का व्रत 06 सितंबर, 2022 को रखेंगे।

बन रहे हैं ये विशेष संयोग

वैदिक पंचांग के अनुसार पद्मा एकादशी के दिन बेहद शुभ व विशेष संयोग बन रहे हैं। इस दिन आयुष्मान, रवि, त्रिपुष्कर सौभाग्य योग बन रहे हैं। इन योगों में पूजा करने का दोगुना फल प्राप्त होता है। वहीं एकादशी पर चार प्रमुख ग्रहों का संयोग भी रहेगा जिसमें सूर्य, बुध, गुरु और शनि सभी चारों ग्रह अपनी ही स्वराशि में विराजमान रहेंगे। चार ग्रहों का स्वराशि में होना और एकादशी का व्रत रखना पुण्य लाभ दिलाने वाला रहेगा।

जानिए पूजा- विधि

शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी को पद्मा एकादशी या परिवर्तिनी एकादशी या जयंती एकादशी नाम से जाना जाता है। इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके साफ सुथरे कपड़े पहन लें। साथ ही पूजा स्थल में चौकी पर एक पीला कपड़ा पिछाएं और भगवान विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद श्री हरि को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें। फिर एकादशी कथा और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। साथ ही किसी ब्राह्राण को जल, अन्न-वस्त्र या छाते का दान करें। अंत में आरती करें।  

ये है महत्व

पद्मा एकादशी का व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है।  एकादशी व्रत से चन्द्रमा के हर खराब प्रभाव को रोका जा सकता है। क्योंकि  एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर पर पड़ता है और चंद्रमा मन का कारक माना जाता है। इस व्रत के प्रभाव से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।