Art of meditation: मेडिटेशन कैसे करें, ये सवाल अक्सर लोगों के मन में उठता है और वह पूछते हैं। ओशो मेडिटेशन को बहुत अलग अंदाज से समझाते हैं। उनकी नजर में मेडिटेशन का मतलब उस वक्त कुछ न करना। न ईश्वर का ध्यान, न किसी मुद्दे पर चिंतन और न किसी दोस्त यार रिश्तेदार की बातें। दिमाग में कुछ भी न आना और शांत होकर बैठ जाना ही है मेडिटेशन।

जापान में जब ध्यान करने वालों से पूछो कि ध्यान के लिए क्या करें तो वो कहते हैं कि कुछ न करो बस बैठ जाओ..ध्यान रखना है जब वो कहते हैं कि कुछ न करो तो उनका मतलब है कुछ भी न करना बस बैठ जाना..बस इतना ही करो कि बैठ जाओ…क्योंकि अगर तुमने कुछ किया तो मन आया…बात सरल लगती है लेकिन है बहुत कठिन..यही तो मुसीबत है कि बैठना मुश्किल है। आंख बंद की काम शुरु हुआ..शरीर बैठा हुआ दिखाई दिया और मन भाग रहा है…अगर तुम सिर्फ बैठ जाओ और कुछ भी न करो तो ध्यान.. अगर तुम आश्वात हो जाओ…न राम-राम का जप करो..न कृष्ण की स्तुति करो..कुछ भी नहीं कर रहे न कोई विचार की तरंग है…क्योंकि वो भी कृत्य है..न तुम परमात्मा का स्मरण कर रहे हो न संसार का, क्योंकि वो सभी विचार है..तुम भीतर दोहरा रहे हो कि अहं ब्रह्मास्मि..मैं आत्मा हूं मैं ब्रह्म हू..ये सब बकवास है…इसे दोहराने से कुछ न होगा…जिसके भीतर कुछ भी नहीं हो रहा है..बस तुम बैठ हो जैसे कि चट्टान..जब कहीं आदमी इस अवस्था में पहुंचता है कि बस बैठा है..सरल लगता है कि सूत्र बड़ा कठिन है…तुमसे कहे कि हिमालय चड़ जाओ..तुम चढ़ जाओगे लेकिन बैठना सरल नहीं है।

ध्यान करते समय शरीर को न बनने दें अपना मालिक?

अगर तुम चुपचाप बैठोगे तो क्या होगा..पहले तो बैठोगे तो शरीर में गति होगी..कहीं शरीर में सुइयां चुभ रही हैं…कहीं कमर में दर्द..कहीं खुजली हो रही है…जबकि इससे पहले कुछ न हो रहा था..लेकिन जैसे ही शांत बैठे तो मुसीबत शुरू होती है…इस पर ध्यान रखना है कि मालिक तुम हो शरीर की बात को मत सुनना…तुम शरीर को कह देते हो कि इसे एक कुछ भी हो जाए कि मैं एक घंटे कुछ नहीं करने वाला..खुजलाहट ही चलेगी न क्या बिगड़ जाएगा…तुम दो चार मिनट हिम्मत जुटा लो तो खुजलाहट अपने आप ही चली जाएगी...इस शरीर के गुलाम मत बनो…वो तुम्हें बुलाता है बार-बार गुलाम बनाता है…लेकिन जैसे ही तुम जैसे ही अपने मन की सुनोगे कि उसकी माल्कियत चली जाएगी…लेकिन अगर तुमने शरीर की बात मानी और उसके कहने पर खुजली की, हिले तो फिर से उसके गुलाम बन जाओगे…फिर ध्यान भंग हो जाएगा…शरीर में खुजलागट उठे तुम देखते रहना..दर्द उठे उसे भी इग्नोर करना…कोई भी सूखा आसन देखना और शांत होकर बैठ जाना..6 माह तक ऐसा करना शरीर की बात पर ध्यान ही मत देना..तुम 6 माह तक ऐसा करोगे अपने आप शरीर तुम्हें आदेश देना बंद कर देगा..तुम खुद पर मन की जीत पाओगे न कि शरीर की।