हर इंसान की चाहत होती है कि उसका वैवाहिक जीवन खुशहाल रहे। कभी जीवनसाथी के साथ तनाव न हो, लेकिन ज्योतिष के अनुसार हर किसी के जीवन में उतार- चढ़ाव आता है। साथ ही दांपत्य जीवन में भी जीवनसाथी के साथ मनमुटाव देखने को मिलते हैं। ऐसा कुंडली में मौजूद नकारात्मक ग्रहों के कारण होता है। ज्योतिष में हर ग्रह को मजबूत करने और उसका नकारात्मक असर कम करने के उपाय बताए गए हैं। ज्योतिष शास्त्र के लिहाज से शुक्र ग्रह का मनुष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।
शुक्र ग्रह को दांपत्य जीवन का भी कारक माना जाता है, लिहाजा इस ग्रह के रत्न ओपल का रत्न शास्त्र में विशेष महत्व है। अगर दांपत्य जीवन में कलह हो तो व्यक्ति को शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए ओपल पहनने की सलाह दी जाती है। इससे जातक को काफी लाभ हो सकता है।
जानिए ओपल रत्न पहिनने के लाभ:
- ज्योतिष के अनुसार ओपल पहनने से यौन शक्ति में वृद्धि होती है क्योंकि यह शुक्र ग्रह का रत्न है और शुक्र ग्रह वीर्य का कारक है।
- ओपल पहनने से मनुष्य का व्यक्तित्व आकर्षक होता है।
- शुक्र की महादशा और अंतर्दशा में भी ओपल को धारण किया जा सकता है।
- अगर कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर स्थित हो तो भी ओपल धारण कर सकते हैं।
- शुक्र ग्रह से जुड़ा काम करने वाले जैसे- अभिनेता, अभिनेत्री, टीवी, फिल्म और थिएटर में काम कर रहे कलाकारों को यह रत्न पहनना चाहिए।
- ओपल रत्न मानसिक तनाव, उदासीनता, आलस्य, नेत्र रोग से संबंधित विकारों से भी राहत दिलाता है।(इसे भी पढ़ें)- 2022 में इन राशि वालों को मिल सकता है अपना मनपसंद जीवनसाथी, विवाह के बन रहे हैं प्रबल योग
- किसी जातक की जन्मकुंडली में तुला और वृषभ लग्न हो या जिनकी जन्मराशि तुला या वृषभ हो वह ओपल रत्न पहन सकते हैं।
- साथ ही जिनकी कुंडली में शुक्र योगकारक ग्रह के रूप में हों उन्हें ओपल जरूर धारण करना चाहिए।
- अगर पति-पत्नी के बीच बार- बार कलह रहती हो, तो उन्हें ओपल रत्न धारण करना चाहिए। ऐसे करने से शुक्र ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन खुशहाल बीतता है।
- माणिक्य, मोती और पुखराज के साथ ओपल रत्न धारण नहीं करना चाहिए।
ऐसे धारण करें ओपल:
ओपल को धारण करने के लिए शुक्रवार दिन ठीक अनुकूल है। इसे सीधे हाथ की अनामिका अंगुली में धारण करना चाहिए। पहनने से पहले इसे कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए। पुन: शुद्ध करके अंगूठी को सफेद कपड़े के ऊपर रख लें और शुक्र के मंत्र ऊं शुं शुक्राय नम: का 108 बार माला से जाप करके अंगूठी को धारण कर लेना चाहिए।