Shani Jayanti 2021: हिंदू मान्यताओं अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन शनि देव का जन्म हुआ था। इस दिन को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। जो इस बार 10 जून को है। शनि के दोषों से मुक्ति पाने के लिए ये दिन खास माना जाता है। खासकर शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या से पीड़ित जातक इस दिन अगर कुछ विशेष उपाय कर लें तो उनके कष्ट दूर हो सकते हैं, ऐसी मान्यता है। यहां जानिए शनि जयंती पर कैसे करें शनि देव की पूजा और इन्हें प्रसन्न करने के कुछ विशेष उपाय…
किन पर है शनि ढैय्या और साढ़े साती? मिथुन और तुला वालों पर शनि की ढैय्या चल रही है। वहीं धनु, मकर और कुंभ वाले जातक शनि साढ़े साती की चपेट में हैं। धनु वालों पर शनि साढ़े साती का आखिरी चरण, मकर वालों पर दूसरा और कुंभ वालों पर इसका पहला चरण चल रहा है। यह भी पढ़ें- Surya Grahan 2021 Today Live Updates: सूर्य ग्रहण कितने बजे से होगा शुरू, कहां और कैसे देखें लाइव जानिए पूरी डिटेल
शनि जयंती कब और क्यों मनाई जाती है? शनि जयंती ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाई जाती है। 9 जून को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से अमावस्या लग रही है और इसकी समाप्ति 10 जून को 4 बजकर 22 मिनट पर होगी। ऐसे में शनि जयंती 10 जून को मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन शनि भगवान का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन शनि देव की पूजा अर्चना करना फलदायी माना गया है। जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं।
शनि देव को प्रसन्न करने के लिए ऐसे करें पूजा: इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। पूजा स्थान पर शनि भगवान को याद करते हुए दीपक जलाएं। शनि भगवान को तेल अर्पित करें। फूल चढ़ाएं और भोग लगाएं। शनि भगवान की आरती उतारें। शनि चालीसा का पाठ करें। मंत्रों का जाप करें। शनि स्त्रोत का पाठ करें। इस विधि से इस दिन शनि पूजा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। यह भी पढ़ें- सूर्य ग्रहण के प्रभाव से 5 राशियों के जीवन में होंगे बड़े बदलाव, नौकरी में मिल सकता है प्रमोशन
शनि मंत्र:
-ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।
-ॐ शं शनैश्चराय नमः।।
-ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
शनि जयंती के उपाय (Shani Jayanti Ke Upay):
-शनिदेव के आराध्य भगवान शिव हैं। इसलिए शनि जयंती के दिन शनि देव के साथ भगवान शिव की पूजा करना भी शुभ फलदायी माना जाता है। इस दिन शिवजी का काले तिल मिले हुए जल से अभिषेक करना चाहिए। इससे शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
-शनि दोष की शांति के लिए शनि जयंती पर महामृत्युंजय मंत्र या ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप किया जाता है।
-कहते हैं कि भगवान हनुमान जी की पूजा से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं इसलिए इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें। साथ ही सुंदरकाण्ड का पाठ करना चाहिए इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं।
-शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि जयंती पर व्रत भी रख सकते हैं।
-इस दिन गरीब लोगों की सहायता करें ऐसा करने से कष्ट दूर होते हैं। इस दिन शनिदेव से संबंधित वस्तुएं जैसे तेल, काली उड़द, काले वस्त्र, लोहा, काला कंबल आदि चीजें दान कर सकते हैं।
-शनि जयंती पर एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखकर तेल को कटोरी सहित शनि मंदिर या शनि का दान लेने वालों को दान कर दें। ऐसा करने से शनि देव की कृपा बनती है।


अमावस्या तिथि का आरंभ: 9 जून को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से
अमावस्या तिथि का समापन: 10 जून को शाम 04 बजकर 22 मिनट पर
ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को शनि भगवान का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। कहते हैं कि इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से शनि की अराधना करता है उसे शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन शनि से संबंधित वस्तुओं का दान अवश्य करना चाहिए।
धनु वालों पर शनि साढ़े साती का आखिरी चरण चल रहा है आपको इससे मुक्ति 29 अप्रैल 2022 में मिलेगी। क्योंकि शनि इस दौरान कुंभ राशि में प्रवेश कर जायेगा।
आज शनि जयंती है। इस दिन शनि देव की विशेष पूजा करने से शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या का प्रकोप भी कम हो जाता है। ऐसी मान्यता है। इस दिन शनि चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं।
शनिदेव सभी नौ ग्रहों में सबसे श्रेष्ठ होने का भगवान शिव से आशीर्वाद मिला है। इनकी दृष्टि से मनुष्य क्या देवता भी भयभीत रहते हैं। ज्योतिष शास्त्र में तमोगुण की प्रधानता वाले क्रूर ग्रह शनि को दुख का कारक बताया गया है। वह देव, दानव और मनुष्य आदि को त्रास देने में समर्थ हैं शायद इसीलिए उन्हें दुर्भाग्य देने वाला ग्रह माना जाता है। किंतु वास्तव में शनिदेव देवता हैं। मनुष्य के दुख का कारण स्वयं उसके कर्म हैं, शनि तो निष्पक्ष न्यायाधीश की भांति बुरे कर्मों के आधार पर वर्तमान जन्म में दंड भोग का प्रावधान करते हैं।
हर वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर शनि जयंती मनाई जाती है। इस बार शनि जयंती 10 जून, गुरुवार को है। ज्योतिष की गणनाओं में शनि ग्रह का विशेष महत्व होता है। इस बार शनि जयंती पर सूर्यग्रहण भी लगेगा। जिन लोगों के ऊपर शनिदोष होता है उनके जीवन में उन्हें तमाम तरह की कठिनाओं का सामना करना पड़ता है। ज्योतिशास्त्र के अनुसार शनि की महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या बहुत ही कष्टकारी होती है। शनिदेव सूर्यदेव के पुत्र है लेकिन पिता और पुत्र में हमेशा बैर भाव ही बना रहता है। सभी ग्रहों में शनि सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं, ये किसी एक राशि में करीब ढाई वर्षों तक रहते हैं।
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।
मिथुन और तुला वाले शनि ढैय्या की चपेट में है शनि जयंती पर खास उपायों को करने से आपको राहत मिलेगी। वहीं धनु, मकर और कुंभ वालों पर शनि की साढ़े साती है। शनि जयंती के दिन शनि देव की पूजा करने से आपको लाभ प्राप्त होगा।
शनि चालीसा का पाठ करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। साथ ही शनि जयंती के दिन कुष्ट रोगों से पीड़ित जरूरतमंद लोगों की सहायता करने से भी शनि देव की कृपा बनी रहती है।
शनि जयंती के दिन झूठ न बोलें और न ही किसी के साथ छल करें। इस दिन मांस और मदिरा के सेवन से बचें। ऐसा करने से शनि महादशा के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलने की मान्यता है।
शनि देव की पूजा के समय उनकी आंखों में देखकर पूजा न करें। इससे आप उनकी कुपित दृष्टि का शिकार हो सकते हैं। पूजा के वक़्त उनके पैरों की तरफ देखें, मान्यता है कि इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि की कुदृष्टि का कारण उनकी पत्नी द्वारा दिया गया एक शाप है। एक बार शनिदेव की पत्नी पुत्र की लालसा में उनके पास पहुंचीं लेकिन शनिदेव कठिन तपस्या में मग्न थे। इससे कुपित होकर पत्नी ने शनिदेव को शाप दिया कि जिस पर भी आपकी दृष्टि पड़ेगी उसका सबकुछ नष्ट हो जाएगा। और यही वजह है कि जिन लोगों पर शनि का प्रकोप होता है उनके साथ अशुभ होने की संभावना बनी रहती है।
शनि जयंती के दिन जरूरतमंद लोगों की मदद और उन्हें दान का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन दान करने से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
शनि जयंती के दिन किसी भी गरीब या असहाय व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए। कोशिश करें कि इस दिन किसी जरूरतमंद को भोजन करा दें। शनि जयंती के दिन मांस और मदिरा का सेवन करने से भी बचना चाहिए। शनि जयंती के दिन बाल या नाखून कटवाना भी निषेध माना गया है। लोहे या काँच के बर्तन को भी शनि जयंती के दिन नहीं खरीदना चाहिए।