Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा को लेकर यह कहा जाता है कि वे भगवान हनुमान के अवतार थे। उनका जीवन बहुत ही साधारण और भक्ति से भरा था। उनके भक्तों का मानना है कि वे आज भी अपने सूक्ष्म रूप में भक्तों की मदद करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि नीम करोली बाबा को केवल 17 साल की उम्र में ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। उनका वास्तविक नाम लक्ष्मणदास बताया जाता है और उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में हुआ था। बाबा ने अपनी जीवनशैली और उपदेशों से हमें बहुत कुछ सिखाया है। ऐसे में आज हम आपको उनके तीन सबसे महत्वपूर्ण उपदेशों के बारे में बताएंगे जो आपके जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
सेवा और परोपकार
नीम करोली बाबा हमेशा कहते थे कि ‘परोपकार सबसे बड़ा धर्म है।’ यानि कि दूसरों की मदद करना, खासकर गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करना, बहुत बड़ा पुण्य माना जाता है। बाबा का कहना था कि जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो हमें अंदर से सुकून और शांति मिलती है। यह भगवान की सेवा करने जैसा है। इसलिए, हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए और समाज में प्रेम फैलाना चाहिए।
सादगी और समर्पण
बाबा का मानना था कि ‘भगवान का वास सादगी और भक्ति में है।’ इसका मतलब है कि हमें अपनी जीवनशैली को साधारण रखना चाहिए। बाहरी दिखावे से ज्यादा जरूरी है हमारा अंदर का शुद्धता और विनम्रता। बाबा हमें यह सिखाते थे कि हमें अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करके सादा जीवन जीना चाहिए और भगवान के प्रति पूरी श्रद्धा और समर्पण रखना चाहिए। जीवन का यही असली सुख है।
प्रेम और क्षमा
बाबा का यह भी कहना था कि ‘प्रेम ही ईश्वर है और क्षमा जीवन का सबसे बड़ा गुण है।’ उनका मानना था कि सच्चा प्रेम हर मुश्किल को आसान बना देता है। हमें सभी से प्रेम करना चाहिए, चाहे वे हमारे दोस्त हों या दुश्मन। इसके अलावा, हमें दूसरों को क्षमा भी करना चाहिए। जब हम किसी को माफ करते हैं, तो हमारी आत्मा हल्की होती है और हमें मानसिक शांति मिलती है।
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