Navratri Vrat Katha: पंचांग के अनुसार, आज यानी 30 मार्च से चैत्र नवरात्रि शुरू हो चुकी है और पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। यह त्योहार माता रानी के भक्तों के लिए बेहद खास होता है। इन नौ दिनों में श्रद्धालु मां दुर्गा की उपासना करते हैं और व्रत रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि में सच्चे मन से व्रत रखने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस दौरान हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा होती है और विशेष कथाओं का पाठ किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पूजा के दौरान कथा का पाठ करने से साधक को शुभ फल प्राप्त होता है। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में पढ़ते हैं नवरात्रि की व्रत कथा।
नवरात्रि व्रत कथा (Navratri Vrat Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवगुरु बृहस्पति ने ब्रह्माजी से नवरात्रि व्रत का महत्व पूछा। ब्रह्माजी ने बताया कि यह व्रत करने से संतान सुख, धन, विद्या और समृद्धि प्राप्त होती है। इसके प्रभाव से रोग दूर होते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को न करने वाले व्यक्ति को जीवन में कई तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है। एक समय की बात है, मनोहर नगर में पीठत नाम का ब्राह्मण रहता था। उसकी बेटी सुमति माता दुर्गा की बड़ी भक्त थी। लेकिन एक दिन वह पूजा में नहीं पहुंच पाई, जिससे उसके पिता नाराज हो गए और गुस्से में उसका विवाह एक कुष्ठ रोगी से कर दिया। विवाह के बाद सुमति अपने पति के साथ जंगल में चली गई।
मां दुर्गा की कृपा से बदली सुमति की किस्मत
सुमति के दुख को देखकर मां दुर्गा उसके सामने प्रकट हुईं और वरदान मांगने को कहा। सुमति ने अपने पति के कुष्ठ रोग से मुक्ति की प्रार्थना की। देवी ने उसे बताया कि पिछले जन्म में उसने अनजाने में नवरात्रि का व्रत रखा था, जिसके पुण्य से आज उसे यह आशीर्वाद मिल रहा है। मां दुर्गा की कृपा से उसका पति ठीक हो गया और वे सुखी जीवन जीने लगे। मां दुर्गा ने सुमति को नवरात्रि व्रत की विधि भी बताई। इस व्रत में नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। यदि पूरे दिन व्रत रखना कठिन हो, तो एक समय भोजन किया जा सकता है। घटस्थापना कर, देवी के लिए फल, फूल और प्रसाद अर्पित करना चाहिए। व्रत के अंतिम दिन हवन और कन्या पूजन करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
ब्रह्माजी ने कहा कि जो व्यक्ति भक्तिभाव से यह व्रत करता है, उसे जीवन में सभी सुख-संपत्तियां मिलती हैं। इस व्रत का पुण्य करोड़ों गुना बढ़ जाता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही देवी मां के आशीर्वाद से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
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