चैत्र नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। 02 अप्रैल 2022 को आरंभ होने वाले चैत्र नवरात्रि के लिए संपूर्ण देश भर में लोग तैयारियां आरंभ कर चुके हैं। नवरात्र के पर्व के आरंभ वाले दिन में अर्थात 9 दिनों में से पहले दिन घर में कलश की स्थापना की जाती है। इस वजह से नवरात्र का प्रथम दिन अधिक महत्वकारी माना जाता है। इसके अलावा नवरात्रि के 9 दिनों में से अष्टमी के दिन को भी बहुत ही अधिक महत्वकारी और फलदाई माना जाता है।
वहीं माता के नौ स्वरूप की पूजा-अर्चना हेतु सभी लोग अपने-अपने तौर तरीके से तैयारियां करने लगे हुए हैं। इस संपूर्ण पर्व त्योहार में कई ऐसे क्रियाकलाप होते हैं जो वास्तु के दृष्टिकोण से अनुचित माने जाते हैं। अर्थात कोशिश तो शुभ करने की होती है, किंतु भूलवश अथवा जानकारी के अभाव में आपसे कुछ ऐसा हो जाता है जो वास्तु शास्त्र के मुताबिक आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। आइए जानते हैं कि वास्तु अनुसार क्या कुछ बदलाव कर लिए जाए, तो घर में सुख-समृद्धि में लगातार वृद्धि होती रहे।
स्थान का रखें विशेष ध्यान: वास्तु शास्त्र के मुताबिक ईशान कोण अर्थात उत्तर पूर्व वाली दिशा को ही पूजा हेतु उपयुक्त व सर्वोत्तम माना जाता है। शास्त्रों में ऐसा वर्णन है कि जातकों के घर के ईशान कोण में देवी-देवताओं का वास होता है, वहां सबसे अधिक सकारात्मक माहौल होता है। इसलिए नवरात्रि के इस पावन पर्व पर कलश स्थापना से लेकर मूर्ति स्थापना व पूजा-पाठ आदि की प्रक्रिया को अपने घर के उत्तर-पूर्व की दिशा वाले क्षेत्र में ही संपन्न करें।
ऐसे करें कलश की स्थापना: हर कोई तो कलश स्थापना नहीं करता है, दरअसल कलश स्थापना के बाद उसकी पूजा से लेकर विभन्न कार्य कर पाने में असमर्थ होने के कारण हर कोई नवरात्रि में कलश नहीं स्थापित करता है। लेकिन यदि आप कलश स्थापना के इच्छुक हैं तो कलश की स्थापना वाले दिन के पूर्व वाली रात्रि को ही जौ को पानी में भिगोने के लिए रात भर रख दें।
दूसरे दिन प्रातः नित्य क्रिया स्नानादि करके पूजा के लिए स्वच्छ चौकी लेकर पवित्र आदि करने के बाद उसके ऊपर बालू अर्थात रेती डालकर उसमें जौ बो दें। इसके अलावा कलश को भी गाय के गोबर से अच्छे से सजाकर, गोबर में जौ बो दें।
कलश में चंदन तिलक लगाकर कलश के कंठ में रोली बांधे। कलश के अंदर अक्षत और सिक्का सुपारी आदि को भी डालें। तत्पश्चात कलश में आम के पल्लव को डाले, फिर उस के ऊपर से लाल कपड़े में नारियल को बांधकर रख दें। तत्पश्चात कलश के ऊपर अक्षत, पुष्प, धूप दीप, नैवेद्य आदि समर्पित करें। पूजन हेतु आप मिट्टी, चांदी, तांबे आदि अपने इच्छा व सामर्थ्य के अनुसार कलश का चयन कर सकते हैं।
अखंड ज्योत की सही दिशा: नवरात्र के 9 दिनों तक कई लोग अखंड ज्योत अर्थात एक अखंड दीपक भी जलाते हैं जो लगातार नौ दिनों तक चलता रहता है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो इस अखंड दीपक की दिशा का वास्तु के अनुरूप होना अत्यंत आवश्यक होता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जातकों को अखंड ज्योत की दिशा पूर्व-दक्षिण की दिशा रखनी चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार और अधिक होता है।