हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। एक साल में कुल चार नवरात्रि आती है। लेकिन इनमें से दो को ही प्रधानता दी गई है। इन्ही में से एक है शारदीय नवरात्रि। शारदीय नवरात्रि का दुर्गा मां के भक्तों में इंतजार रहता है। मान्यता है कि मां दुर्गा शारदीय नवरात्रि में अपने भक्तों के जीवन में खुशियां लाती हैं। इस बार का नवरात्र और भी खास माना जा रहा है। दरअसल ज्योतिष शास्त्र के जानकारों का कहना है कि देवी मां इस बार नौका पर सवार होकर आएंगी। और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करेंगी। बुधवार यानी 10 अक्टूबर को नवरात्रि का प्रथम दिन था। आज यानी 11 अक्टूबर, बृहस्पतिवार को नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी।
देवी ब्रह्मचारिणी को ब्रह्म शक्ति यानी तप की शक्ति का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ जाती है। और ऐसे व्यक्ति की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। देवी ब्रह्मचारिणी सफेद वस्त्र धारण करती हैं। कहते हैं कि जब हम तपस्या के मार्ग पर उतरें तो हमारा मन एकदम सफेद यानी स्वच्छ होना चाहिए। तभी हम ईश्वर को पा सकेंगे। माना जाता है कि देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा से मन को शांति और शक्ति प्राप्त होती है।
पूजा विधि: आप सबसे पहले किसी स्वस्च्छ सी चौकी पर माता ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा स्थापित करें। अब गंगा जल से इसका शुद्धिकरण करें। इसके बाद चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। अब माता की प्रतिमा के समझ व्रत का संकल्प लें। साथ ही वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां चंद्रघंटा की षोडशोपचार पूजा करें। पूजा में वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, फल, पान, दक्षिणा, आरती आदि संपन्न करें। इसके बाद प्रसाद का वितरण करें।