Durga Ashtami 2020 : अधिक मास समाप्त होने के साथ ही 17 अक्तूबर, शनिवार से नवरात्रि के महापर्व की शुरुआत हो गई थी। इस बार तिथियों में उतार-चढ़ाव होने की वजह से नवरात्रि का त्योहार नौ दिन से पहले ही संपूर्ण हो जाएगा। इसी के साथ 24 अक्तूबर, शनिवार को दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी। विद्वानों के अनुसार इस साल अष्टमी-नवमी एक ही दिन यानी 24 अक्तूबर, शनिवार के दिन ही हैं।

क्यों इतनी खास है दुर्गा अष्टमी
देवी के भक्त नौ दिनों तक उपवास कर सच्चे मन से देवी की आराधना करते हैं। जिसके बाद वह अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं के रूप में देवी का पूजन करते हैं। कहते हैं कि जो व्यक्ति उपवास रखने के बावजूद भी कन्या पूजन नहीं करता है उसका व्रत संपूर्ण नहीं माना जाता है। इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना बहुत जरूरी है। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान देवी कैलाश पर्वत को छोड़कर अपने भक्तों के घरों में आकर निवास करती हैं।

किस देवी की होती है उपासना
नवरात्रि के आठवें दिन यानी दुर्गा अष्टमी के दिन देवी महागौरी की उपासना की जाती है। कहते हैं कि देवी का यह स्वरूप अत्यंत शांत है। महागौरी सफेद रंग के वस्त्र धारण करती हैं। इनका वाहन वृषभ है। इनकी चार भुजाएं हैं। इनके दाहिनें हाथों में त्रिशूल और अभय मुद्रा में हैं। जबकि इनका बायां हाथ वर मुद्रा और डमरू लिए हैं। जिन लोगों को शांति की चाह होती है उन्हें महागौरी की उपासना जरूर करनी चाहिए।

दुर्गा अष्टमी का पौराणिक महत्व
माना जाता है कि भगवान राम ने लंका प्रस्थान करने से पहले नौ दिनों तक समुद्र के किनारे माता के नौ रूपों का पूजन किया था। उसके बाद दसवें दिन रावण से युद्ध कर दशहरा वाले दिन रावण का वध कर दिया था। ऐसा माना जाता है कि देवी की कृपा से भगवान राम ने रावण का वध किया था। उन्होंने देवी की आराधना करते समय उनसे ये ही प्रार्थना की थी कि संसार से बुराई का अंत हो और अच्छाई हमेशा के लिए अमर हो जाए। इसलिए ही दशहरे के त्योहार को अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है।