Navratri 2021: कल से नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है। नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर दिन शक्ति के अलग-अलग स्वरूप का दिन होता है। मान्यता है कि अलग अलग स्वरूपों की पूजा के लिए अलग अलग भोग लगाया जाता है।

प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा- नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन माता को गाय के घी से बनी वस्तुओं से भोग लगाना चाहिए। शैलपुत्री को केवल घी का भोग भी लगाया जा सकता है।

दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। माता को शक्कर प्रिय है अतः उन्हें शक्कर से बना प्रसाद भोग में अर्पित करें। शक्कर के साथ पंचामृत का भी भोग लगाएं। इससे माता सभी जीवों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देतीं हैं।

तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा- नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन माता को दूध और दूध से बनी चीजों के भोग लगाने से माता प्रसन्न होतीं हैं।

चौथे दिन मां कुष्मांडा देवी की पूजा- माता को मालपुए का भोग लगाएं और उसे जरुरतमंदों को खिलाएं। इस प्रसाद से मां कुष्मांडा अपने भक्तों पर प्रसन्न होतीं हैं।

पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा- माता स्कंदमाता को केला प्रिय है। इसलिए नवरात्रि के पाचवें दिन भोग लगाते समय विशेष रूप से केले का भोग लगाएं। इससे माता की कृपा पूरे परिवार पर बनी रहती है और तरक्की मिलती है।

छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा- मान्यता है कि माता कात्यायनी को शहद का भोग लगाया जाता है। इससे माता अपने भक्तों को मानसिक और शारीरिक सौंदर्य का आशीर्वाद देती हैं।

सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा- मां कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाने की मान्यता है। गुड़ से बनी चीजों से मां को भोग लगाएं और सभी में प्रसाद बांटें।

आठवें दिन मां महागौरी की पूजा- मां महागौरी को विशेष रूप से नारियल का भोग लगाया जाता है। इस भोग से माता प्रसन्न होतीं हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

नौवें दिन मां सिद्धिरात्रि की पूजा- नवरात्रि के नौवें और आखिरी दिन मां सिद्धिरात्रि की आराधना की जाती है। माता को चना और हलवा का भोग लगाया जाता है। इसी आखिरी दिन कन्या पूजन किया जाता है जिससे घर में समृद्धि आती है।

नवरात्रि में करें इन मंत्रों का उच्चारण-

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।