Navratri Hawan Vidhi, Pujan Samigri and Mantra: शारदीय नवरात्रि के आखिरी दिन यानी नवमी तिथि को हवन करना शुभ माना जाता है। कई साधक नवरात्रि व्रत का पारण करने के साथ दशमी तिथि को भी हवन करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, जिस साधक ने नौ दिनों का व्रत रखा है उसे हवन अवश्य करना चाहिए। इससे आपका व्रत पूर्ण होता है। इसके साथ ही मां दुर्गा अति प्रसन्न होती हैं। इसलिए जरूरी है कि आज नवरात्रि के आखिरी दिन विधिवत पूजा करने के साथ मंत्रों के साथ हवन करें।
नवरात्रि हवन सामग्री (Navratri Hawan Samagri)
- एक हवन कुंड
- आम की लकड़ियां
- नौ ग्रह की लकड़ियां (सूर्य- सन्दूक, चंद्रमा – पलाश, मंगल – खैर, बुध – अपामार्ग, गुरु – पीपल, शुक्र – औदंबर, शनि – सामी, राहु – दुर्वा, केतु – कुशा)
- हवन सामग्री
- कपूर
- लौंग
- लाल कलावा
- एक सूखा हुआ नारियल
- 5 प्रकार के फल और मिठाई
- घी
- सुपारी
- गंगाजल
- लाल कपड़ा
- फूल
नवरात्रि हवन विधि (Navratri Hawan Vidhi)
सबसे पहले जिस जगह आप हवन करने वाले हैं। उसे गोबर ले लिप लें या फिर जल से धो दें। इसके बाद आटा से रंगोली बनाकर हवन कुंड रख दें। अगर आप मिट्टी से वेदी बना रहे हैं, तो वो बना लें। इसके बाद सिंदूर, जस, फूल, सुपारी, पान का पत्ता, फल, मिठाई आदि चढ़ाकर पूजा कर लें। इसके बाद थोड़ी सी कपूर रखें और उसके ऊपर आम की लकड़ी रखकर आग जला लें। इसके मंत्रों के साथ हवन सामग्री डालकर आहुति कर दें। फिर अंत में सूखा नारियल में छेद करके घी भर दें और कलावा बांध दें। इसके बाद हवन कुंड के बीचो-बीच इसे गाड़ दें। अंत में अपनी तरह पात्र का मुख करके पूरी हवन सामग्री की आहुति दे दें। इसके साथ ही ‘ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा’। मंत्र बोलें।
नवरात्रि हवन मंत्र (Navratri Hawan Mantra)
ॐ आग्नेय नम: स्वाहा (ॐ अग्निदेव ताम्योनम: स्वाहा), ॐ गणेशाय नम: स्वाहा, ॐ गौरियाय नम: स्वाहा, ॐ नवग्रहाय नम: स्वाहा, ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा, ॐ महाकालिकाय नम: स्वाहा, ॐ हनुमते नम: स्वाहा, ॐ भैरवाय नम: स्वाहा, ॐ कुल देवताय नम: स्वाहा, ॐ स्थान देवताय नम: स्वाहा, ॐ ब्रह्माय नम: स्वाहा, ॐ विष्णुवे नम: स्वाहा, ॐ शिवाय नम: स्वाहा, ॐ जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा, स्वधा नमस्तुति स्वाहा, ॐ ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: क्षादी: भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शक्रे शनि राहु केतो सर्वे ग्रहा शांति कर: स्वाहा, ॐ गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा, ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम्/ उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् मृत्युन्जाय नम: स्वाहा, ॐ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।
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