Navratri 2022, Maa Kalaratri Puja: चैत्र नवरात्रि का व्रत (Chaitra Navratri 2022) का पर्व हर साल चैत्र मास (Chaitra Month) के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है। नवरात्रि के सातवें दिन देवी के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है।

मान्यता है कि मां के कालरात्रि स्वरूप की पूजा करने से जातकों पर आने वाले आकस्मिक संकट से व्यक्ति की रक्षा होती है। मां दुर्गा का कालरात्रि स्वरूप शत्रुओं और दुष्टों का संहार करने वाला होता है। ऐसे में सातवें दिन मां कालरात्रि की विधिवत रूप से पूजा अर्चना की जाए तो इससे व्यक्ति के जीवन से भूत प्रेत, शक्तियों का भय दूर होता है।

कालरात्रि पूजा मुहूर्त (Chaitra Navratri 2022 Day 7: Goddess Kalaratri Puja Shubh Muhurat): चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन शुभ योग बन रहा है। चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन 08 अप्रैल, मां कालरात्रि पूजा होती है। मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए 8 अप्रैल 2022 को विशेष संयोग बना हुआ है। आइए जानते हैं इस दिन का पंचांग-

तिथि: सप्तमी रात्रि 11:05 तक तत्पश्चात अष्टमी
नक्षत्र: आर्द्रा 09 अप्रैल रात्रि 01:43 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
योग: शोभन सुबह 10:31 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
राहुकाल: सुबह 11:07 से दोपहर 12:41 तक
भाग्यशाली समय: सुबह 11:58 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: देर रात 01:43 बजे से अगले दिन सुबह 06:02 बजे तक

शत्रुओं का नाश करती हैं मां कालरात्रि: महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं कालरात्रि। मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य स्थित करना चाहिए।

इस आराधना के फलस्वरूप भानु चक्र की शक्तियां जागृत होती हैं। मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट होता है। जीवन की हर समस्या को पल भर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है। शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती हैं।

बता दें कि मां कालरात्रि का रंग एकदम काला है जिससे मां का नाम कालरात्रि पड़ा और माता रानी की तीन आंखें हैं। माता का स्वरूप बेहद ही भयंकर माना जाता है। मां कालरात्रि हमेशा अपने भक्तों का कल्याण करती हैं और इसी वजह से मां का एक नाम शुभंकरी भी है। ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार देवी कालरात्रि शनिदेव को नियंत्रित करती हैं। नवरात्रि में इनकी विधि-विधान से पूजा अर्चना करने पर शनि की साढ़े साती और शनि की ढैय्या के प्रभाव से मुक्ति मिलती है।