Navratri 2020 Puja Vidhi, Vrat Vidhi, Samagri List, Muhurat, Timings: नवरात्र के नौ दिनों को बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इन नौ दिनों में देवी दुर्गा की उपासना करने से वह बहुत प्रसन्न होती हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति नवरात्र के नौ दिन तक देवी की उपासना करता है, देवी उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। जो लोग भी देवी की कृपा प्राप्त करना चाहते हों उन्हें नवरात्र के दौरान माता के नौ रूपों की उपासना करनी चाहिए।
नवरात्र पूजा की सामग्री (Navratri Puja Ki Samagri): लाल कपड़ा, चौकी, कलश, कुमकुम, लाल झंडा, पान-सुपारी, कपूर, जौ, नारियल, जयफल, लौंग, मिश्री, बताशे, आम के पत्ते, कलावा, केले, घी, धूप, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, ज्योत, मिट्टी, मिट्टी का बर्तन, एक छोटी चुनरी, एक बड़ी चुनरी, माता का श्रृंगार का सामान, देवी की प्रतिमा या फोटो, फूलों का हार, उपला, सूखे मेवे, मिठाई, लाल फूल, गंगाजल और दुर्गा सप्तशती या दुर्गा स्तुति आदि।
नवरात्र की पूजा का विधान (Navratri Puja Vidhi/ Navratri Pujan Vidhi): एक चौकी लें। उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। कुमकुम से चौकी पर स्वास्तिक बनाएं। फिर फूल और अक्षत अर्पित करें। देवी का ध्यान करते हुए चौकी पर माता की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। देवी के मस्तक पर कुमकुम का तिलक लगाकर उन्हें फूलों का हार चढ़ाएं। साथ ही गुड़हल का फूल भी अर्पित करें।
एक कलश लें। उसके मुंह पर आम के पत्ते सजाकर कलश में पानी भरें। नारियल पर कलावा और छोटी चुनरी बांधकर कलश के मुंह पर नारियल रखें। देवी पर बड़ी चुनरी अर्पित करें।अब दीपक में ज्योत और घी डालें। साथ ही धूप और अगरबत्ती जलाएं। देवी को पान-सुपारी, लाल झंडा, लौंग और जयफल का भोग लगाएं। इसके बाद एक उपला लें। उस पर कपूर रखकर जलाएं। फिर इसमें बताशे तोड़कर डालें।
फिर माता के रूप का ध्यान करते हुए दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती, दुर्गा स्तुति, महिषासुरमर्दिनी स्तोत्र और दुर्गा स्तोत्र का पाठ करें। पूजा के दौरान ‘ओम एं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।’ का जाप जरूर करें। आप चाहें तो देवी के किसी और मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। इसके बाद दुर्गा माता की आरती करें। फिर जयकारों के साथ पूजा संपन्न करें। पूजा के बाद देवी को सूखे मेवे, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तमलं बलं च।
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु॥
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
चांद की चांदनी,
बसंत की बहार
फूलों की खुशबू
अपनों का प्यार
मुबारक हो आपको
नवरात्र का त्योहार
नवरात्र के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती हैं। नवरात्र में हरेक दिन की कहानी विशेष है। यह कथाएं मनुष्य को जीवन की कठिनाईयों से निरंतर लड़ते रहने की प्रेरणी देती हैं। नवरात्र में माता दुर्गा की पूजा करते हैं और कठिन व्रत रखते हैं। यह सकारात्मकता और समर्पण का त्योहार है।
ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में व्रत रखने वाले भक्तों को दुर्गा स्तुति का पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि दुर्गा स्तुति का पाठ करने से देवी माता की कृपा प्राप्त होती है।
दुष्टों का संघार करने वाली
ओ दुखों को हरने वाली
कृतज्ञ होकर कहता यह
शैलपुत्री माता तेरी जय
नवरात्रि मानसिक, शारीरिक और अध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। इसलिए हजारों वर्षों से लोग नवरात्रि मना रहे हैं।
आज सूर्य की संक्रांति पड़ रही है। इस दिन सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य की संक्रांति पड़ने से इस दिन किए गए पूजन-दान का फल हजार गुना अधिक हो जाता है।
नवरात्रि को 'बुराई पर अच्छाई' की जीत का प्रतीक माना गया है. मां दुर्गा ने इस दौरान राक्षस महिषासुर पर विजय प्राप्त की और भक्तों को अपने 'नौ अवतारों' को समर्पित किया था
पहले से लेकर आखिरी दिन तक नवरात्रि की पूजा में कपूर का इस्तेमाल बेहद शुभ माना गया है। कहते हैं कि मां दुर्गा की पूजा में कपूर के इस्तेमाल से उनकी विशेष कृपा भक्तों को प्राप्त होती है।
ज्योतिषों के मुताबिक इस बार नवरात्र में पूरे 58 साल बाद शनि स्वराशि मकर और गुरु स्वराशि धनु में हैं। साथ ही इस बार घटस्थापना पर भी विशेष संयोग बन रहा है. ये महासंयोग देवी दुर्गा के भक्तों की झोलियां भरने वाला साबित हो सकता है।
नवरात्र में माता दुर्गा की उपासना का विशेष फल मिलता है। कहते हैं कि इन नौ दिनों में दुर्गा चालीसा और दुर्गा स्तुति का पाठ करना चाहिए। साथ ही देवी दुर्गा के मंत्रों का भी जाप करना चाहिए।
वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र दोनों में ही ऐसा माना जाता है कि ईशान कोण की ओर मुंह कर पूजा करनी चाहिए। ईशान कोण उत्तर-पूर्व दिशा के बीच के हिस्से को कहा जाता है। दक्षिण-पश्चिम की ओर पूजा करना मना किया जाता है।
पूजा की थाली में घी या तेल से भरा एक दीपक, ज्योत, धूप, अगरबत्ती, लाल फूल, तिलक, अक्षत, माचिस, कलावा और लाल फूलों का हार रखें। आप चाहें तो साथ में कुमकुम भी रख सकते हैं।
नौ दिनों के इस महापर्व के दौरान सूर्योदय से पहले उठें। स्नानादि कर साफ कपड़े पहनें। चौकी पर स्थापित देवी और कलश पर गंगाजल से छींटे मारें। इसके बाद देवी का ध्यान करते हुए ज्योत जलाएं। साथ ही धूप और अगरबत्ती भी जलाएं। जौ के पात्र में जल चढ़ाएं। देवी के मस्तक पर कुमकुम का तिलक लगाएं।
देश के विभिन्न हिस्सों में इस त्योहार को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। कुछ लोग पूरी रात गरबा और आरती कर नवरात्र का व्रत रखते हैं तो वहीं कुछ लोग व्रत और उपवास रख मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा-आराधना करते हैं। दरअसल नवरात्र अंत: शुद्धि का महात्योहार है।
नवरात्र का त्योहार मनाने के पीछे बहुत-सी रोचक कथाएं प्रचलित हैं। जिनमें यह बताया जाता है कि देवी ने कई असुरों के अंत करने के लिए बार-बार अवतार लिए हैं।
नवरात्र का आरंभ इस बार शनिवार को हो रहा है और इस दिन का लकी कलर काला माना जाता है। लेकिन पूजापाठ में काले रंग का प्रयोग शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए आपको इस दिन ग्रे कलर के कपड़े पहनकर मां का स्वागत करना चाहिए। चूंकि पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा का दिन होता है और उनकी पूजा पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में की जाती है। इसलिए पुरुषों इस दिन सफेद चमकीले वस्त्र और महिलाओं को लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए।