Katyayni Mantra Katha and Aarti: नवरात्र के छठे दिन कात्यायनी माता की आराधना की जाती है। देवी दुर्गा के भक्त उनके कात्यायनी अवतार की पूजा शक्ति प्राप्त करने के लिए करते हैं। कात्यायनी माता की तेजोमयी छवि भक्तों के हृदयों को सुख और शांति प्रदान करती है।

कात्यायनी माता की पूजा विधि (Katyayni Mata Ki Puja Vidhi)
नवरात्र की चौकी पर मां कात्यायनी की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। विग्रह पर गंगाजल छिड़क कर मां से आगमन करने की प्रार्थना करें। फिर दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं। मां कात्यायनी का ध्यान करते हुए उनके मंत्रों का जाप करें। इसके बाद दुर्गा स्तुति, दुर्गा चालीसा और दुर्गा कथाओं को पढ़ें या सुनें। फिर मां दुर्गा की आरती करें। साथ ही मां कात्यायनी की भी आरती करें। फिर माता को भोग लगाएं। देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों के जयकारों के साथ पूजा संपन्न करें।

कात्यायनी माता की कथा (Katyayni Mata Ki Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि कात्यायन ने मां आदिशक्ति की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी दुर्गा ने उन्हें उनकी पुत्री रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। देवी दुर्गा का जन्म महर्षि कात्यायन के आश्रम में ही हुआ। मां का पालन पोषण ऋषि कात्यायन ने ही किया। उस समय त्रिदेवों के तेज से देवी दुर्गा की उत्पत्ति हुई।

देवी दुर्गा ने ऋषि कात्यायन के यहां आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन जन्म लिया। इसके बाद ऋषि कात्यायन ने अपनी पुत्री यानी देवी दुर्गा का तीन दिनों तक पूजन किया। कुछ समय बाद जब महिषासुर राक्षस का अत्याचार बहुत बढ़ गया। तब मां कात्यायनी ने ही उसका वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई थी।

कात्यायनी माता मंत्र (Katyayni Mata Mantra)
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

ॐ कात्यायनी देव्यै नमः

चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानव घातिनी॥

कात्यायनी माता की आरती (Katyayni Mata Ki Aarti)
जय जय अंबे जय कात्यायनी। जय जगमाता जग की महारानी ।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहां वरदाती नाम पुकारा ।।
कई नाम हैं कई धाम हैं। यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी। कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।
हर जगह उत्सव होते रहते। हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।
कात्यायनी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की ।।
झूठे मोह से छुड़ानेवाली। अपना नाम जपानेवाली।।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो। ध्यान कात्यायनी का धरियो।।
हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी ।।
जो भी मां को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।