Navaratri Kalash Sthapna 2020 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Timings: नवरात्र का त्‍योहार इस बार 17 अक्‍टूबर, शनिवार से प्रारंभ होकर 24 अक्‍टूबर, शनिवार को समाप्‍त होगा। 17 अक्‍टूबर, शनिवार को आश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। इस दिन चंद्रमा तुला राशि में और सूर्य कन्‍या राशि में रहेगा। नवरात्र के प्रथम दिन मां की पूजा-अर्चना से पहले कलश स्‍थापना का विधान है।

गणेश जी को कलश का रूप माना गया है। इसलिए किसी भी पूजा से पहले गणेश जी की स्‍थापना और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। कलश स्‍थापना के बारे में पुराणों में कहा गया है जिस जगह पर कलश स्‍थापना करना हो उस जगह को पहले गंगा जल से पवित्र कर लेना चाहिए। फिर उस स्‍थान पर एक लकड़ी का तख्‍त रखकर उस पर भी गंगा जल छिड़ककर उस पर लाल रंग का एक वस्‍त्र बिछाएं।

कलश स्‍थापना की विधि – इसके बाद गणेश जी का ध्यान करते हुए छोटे मिट्टी के बर्तन में जौ बोकर पटरे के ऊपर रख दें। इसके बाद कलश की स्‍थापना करनी चाहिए। कलश के ऊपर रोली से स्‍वास्तिक या ओम का चिह्र बनाने के बाद कलश के ऊपरी सिरे पर आम या अशोक के पत्‍ते पर रखकर रक्षा सूत्र बांध देना चाहिए। इसके बाद लाल वस्‍त्र में लपेटकर नारियल को कलश पर रखकर विधि-विधान पूर्वक मां दुर्गा समेत सभी देवी-देवताओं का आह्वान करना चाहिए। दीप जलाकर अक्षत और पुष्‍प आदि से पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त – प्रतिपदा तिथि यानी पहले नवरात्र के दिन कलश स्‍थापना की जाती है। 17 अक्टूबर, शनिवार सुबह 6 बजकर 23 मिनट से सुबह 10 बजकर 12 मिनट तक घटस्थापना का शुभ मुहूर्त रहेगा। जबकि घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।

कलश स्‍थापना का विधान – लोक कथाओं में कहा गया है कि कलश स्‍थापना का सम्‍बंध भगवान गणेश से है। कलश स्‍थापना के साथ ही लोग नकारात्‍मक ऊर्जा से मुक्‍त होकर नव ऊर्जा को प्राप्‍त करते हैं और मां दुर्गा उनके जीवन में नव जीवन का संचार कर देती हैं। दरअसल, नवरात्र महाशक्ति की उपासना का त्योहार है और मान्यता है कि लोग मां दुर्गा की पूजा-अर्चना कर धन-धान्य से संपन्न हो जाते हैं।