Naraka Chaturdashi 2020 Puja Vidhi, Muhurat, Time, Samagri, Mantra: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी कहा जाता है। भारत के कई क्षेत्रों में इसे यम चतुर्दशी और रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यह त्योहार 13 नवंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा।

इस दिन यमराज की पूजा की जाती है और उनके नाम का दीपक भी जलाया जाता है। इस दीपक को यम दीपक कहा जाता है। कहते हैं कि इस दिन दीपक जलाकर यमराज को नमन करने से नरक नहीं भोगना पड़ता है। इसलिए प्राचीन काल से ही इस दिन के महत्व को समझते हुए इस दिन यम दीपक जलाने की परंपरा है।

नरक चतुर्दशी पूजन विधि (Narak Chaturdashi Pujan Vidhi)
नरक चतुर्दशी के दिन स्नान करने से शरीर पर तेल की मालिश की जाती है। साथ ही स्नान के दौरान अपामार्ग नामक पौधे को शरीर पर स्पर्श किया जाता है। ध्यान रखें कि इस पौधे को शरीर पर स्पर्श करते समय – ‘सितालोष्ठसमायुक्तं सकण्टकदलान्वितम्। हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुन: पुन:’। इस मंत्र का जाप करें।

स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। अब दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं और नीचे लिखे मंत्रों को पढ़ते हुए प्रत्येक नाम से तिलयुक्त तीन-तीन जलांजलि देते जाएं।

ऊं यमाय नम:, ऊं मृत्यवे नम:, ऊं धर्मराजाय नम:, ऊं अन्तकाय नम:, ऊं वैवस्वताय नम:, ऊं वृकोदराय नम:, ऊं कालाय नम:, ऊं सर्वभूतक्षयाय नम:, ऊं औदुम्बराय नम:, ऊं दध्राय नम:, ऊं नीलाय नम:, ऊं परमेष्ठिने नम:, ऊं चित्राय नम:, ऊं चित्रगुप्ताय नम:।

नरक चतुर्दशी की शाम नाली के पास या घर के बाहर पानी के स्थान पर सरसों के तेल का दीपक जलाकर खील और बताशे चढाएं। उस स्थान पर हाथ जोड़कर यमराज का ध्यान कर उनसे प्रार्थना करें कि आपके घर-परिवार में किसी को अकाल मृत्यु का दुख ना सहना पड़े और ना ही किसी को कभी नरक भोगना पड़े। इस स्थान पर अपने घर की संतानों से हाथ जोड़ने को अवश्य कहें। फिर अगले दिन उस दीपक को उठाकर मंदिर या पवित्र जल में विसर्जित कर सकते हैं।

नरक चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त (Narak Chaturdashi Puja Ka Shubh Muhurat)
13 नवंबर, शुक्रवार – शाम 5 बजकर 28 मिनट से शाम 6 बजकर 48 मिनट तक।