Nag panchami Puja Niyam in Hindi: वैदिक पंचांग अनुसार आज 29 जुलाई को नाग पंचमी का त्योहार है। ये पर्व हर वर्ष सावन माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नागदेवताओं की पूजा- अर्चना करने का विधान है। वहीं कई लोग नाग पंचमी पर के दिन व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से व्रत रख भोलेनाथ और नाग देवता की पूजा करता है उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। सथ ही कई जगह इस खास पर्व पर सांपों को दूध भी पिलाया जाता है। मान्यता है दूध पिलाने से जीवन के दुखों से निजात मिल सकती है और आर्थिक तंगी भी दूर होती है। क्योंकि नाग देवता को भगवान शिव का गण माना जाता है। जानिए नाग पंचमी की पूजा विधि और मुहूर्त…

Nag Panchami 2025: नागपंचमी पर करें इस स्त्रोत का पाठ, कालसर्प और पितृ दोष से मुक्ति मिलने की है मान्यता, सुख- समृद्धि की होगी प्राप्ति

नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त

नाग पंचमी के पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 5:42 से सुबह 8:31 तक रहेगा। चौघड़िया का शुभ मुहूर्त सुबह 10:47 से दोपहर 12:28 तक रहेगा। इसके बाद दोपहर 12:27 से 2:09 तक शुभ मुहूर्त रहेगा। पूजन का अगला शुभ मुहूर्त दोपहर 3:51 से शाम को 5:32 तक रहेगा। वहीं इस साल नाग पंचमी पर रवि योग भी बन रहा है।

नाग पंचमी पूजा- विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और फिर स्नान कर लें। साथ ही फिर साफ- सुथरे वस्त्र पहन लें। साथ ही इसके बाद घर के दरवाजे पर या पूजास्थल पर गाय के गोबर या पवित्र मिट्टी से नाग बनाएं। साथ ही हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लें और नाग देवता का आह्वान करें। वहीं प्रतीकात्मक नागों पर जल, फूल और चंदन का अर्घ्य दें। साथ ही मिठाई का भोग लगाएं। वहीं पंचामृत, पंचमेवा, फल आदि का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और आरती करें। 

नाग पंचमी के मंत्र

 नाग पंचमी के दिन ‘ऊं भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्।’ मंत्र से नाग देवता की पूजा की जाती है। इसके अलावा ‘सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले। ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:,’ ‘ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:। ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।’ और ‘ऊं श्री भीलट देवाय नम:।’ मंत्र का जाप भी नाग पंचमी के दिन पूजा के दौरान किया जाता है।

नाग पंचमी की आरती

श्रीनागदेव आरती पंचमी की कीजै ।
तन मन धन सब अर्पण कीजै ।
नेत्र लाल भिरकुटी विशाला ।
चले बिन पैर सुने बिन काना ।
उनको अपना सर्वस्व दीजे।।

पाताल लोक में तेरा वासा ।
शंकर विघन विनायक नासा ।
भगतों का सर्व कष्ट हर लिजै।।

शीश मणि मुख विषम ज्वाला ।
दुष्ट जनों का करे निवाला ।
भगत तेरो अमृत रस पिजे।।

वेद पुराण सब महिमा गावें ।
नारद शारद शीश निवावें ।
सावल सा से वर तुम दीजे।।

नोंवी के दिन ज्योत जगावे ।
खीर चूरमे का भोग लगावे ।
रामनिवास तन मन धन सब अर्पण कीजै ।
आरती श्री नागदेव जी कीजै ।।

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